प्रयागराज: राम मंदिर निर्माण के लिए शिवसेना और वीएचपी के बाद अखाड़ों के साधू-संतों ने 4-5 दिसंबर को अयोध्या कूच करने का एलान किया था. पर अयोध्या प्रशासन ने संतों को अनुमति देने से किया इनकार कर दिया है. प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह के आयोजन की मंजूरी नहीं दी गई है. अयोध्या प्रशासन से मंजूरी नहीं मिलने के बाद अखाड़ा परिषद ने आपात बैठक बुलाई है जिसमें तेरह अखाड़ों के दो-दो प्रतिनिधि शामिल होंगे.


संतों को प्रशासन ने 6 दिसम्बर के बाद की किसी तारीख पर सभा या कार्यक्रम करने की मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है. ये बैठक संगम क्षेत्र में जूना अखाड़े के शिव मंदिर में आज सुबह नौ बजे से शुरू होगी. बैठक में आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा.

अब तक कहा जा रहा था कि संतों के अखाड़ा कूच कार्यक्रम में बड़ी संख्या में नागा साधू भी शामिल होंगे. अखाड़ों के साधू संतों का अयोध्या मार्च कार्यक्रम चार और पांच दिसम्बर को होगा. हालांकि अखाड़ों ने यह साफ़ कर दिया था कि उनका मार्च कार्यक्रम अयोध्या प्रशासन की मंजूरी मिलने पर ही होगा. अगर प्रशासन मंजूरी नहीं देगा तो अखाड़े के पदाधिकारी व उनके कुछ प्रमुख संत अयोध्या में रहकर बैठक करेंगे और मंदिर निर्माण के लिए सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम करेंगे.

बता दें कि मंदिर निर्माण पर अपनी बात रखते हुए स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा था कि अयोध्या में रामलला का मन्दिर बन के रहेगा, लेकिन वह राम आर्दश राम का नहीं बल्कि आराध्य देव राम का होगा. यही हमारी भावना है और हमारा संर्घष भी इसी को लेकर है. स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा था कि अब समय आ गया है जब मुस्लिम खुद हिन्दुओं को जन्मभूमि सौंप दें और मंदिर बनाने में सहयोग करें.

स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा था, '' जन्म स्थान पर कोई परिवर्तन संभव नहीं है और मन्दिर बनना भी तय है. उन्होंने कहा था कि अयोध्या की धर्म सभा में जुटने वाले राम को मनुष्य मानने वाले थे जो राम का पुतला बनाने में रुचि रखते है ना कि रामलला के मंदिर बनाने में. राम को मनुष्य मानना परमात्मा का अपमान है. उन्होंने कहा कि आज हिन्दुओं को धर्म के नाम पर बरगलाया जा रहा है. कोई उन्हें दस दस बच्चे पैदा करने की नसीहत दे रहा तो कोई नये-नये छद्म भगवान ही बना दे रहा है. उन्होंने कहा कि हिन्दु बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं, हम संयम और सदाचार के पोषक हैं.