प्रयागराज: पूर्वांचल में मोदी के लिए साइकिल से प्रचार करने निकले डंडा गुरू, कर चुके हैं गुजरात से महाराष्ट्र तक का दौरा
देवरिया, गोरखपुर, गाजीपुर और वाराणसी में साइकिल से प्रचार के लिए निकले डंडा गुरू ने कहा कि अब तक मैं उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र का दौरा कर चुका हूं.
प्रयागराज: लोगों के बीच डंडा गुरू के नाम से चर्चित तारा शंकर मिश्र ‘शास्त्री’ ने प्रयागराज और फूलपुर संसदीय सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में प्रचार करने के बाद अब वाराणसी में अपना खूंटा गाड़ दिया है.
इस चिलचिलाती धूप और गर्मी में जहां लोग मतदान के लिए घर से निकलने में परहेज करते हैं, वहीं 56 वर्ष की आयु में डंडा गुरू सुबह से शाम तक साइकिल पर घूम घूम कर मतदान की अपील करते हैं.
प्रयागराज के गंगापार झूंसी स्थित हवासपुर गांव के निवासी डंडा गुरू ने कहा, "मैं पिछले 26 वर्षों से साइकिल से हिंदुत्व के लिए प्रचार करता रहा हूं. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मुझे लगा कि यही पार्टी (बीजेपी) हिंदुओं के हितों की रक्षा कर सकती है. तब से मैंने बीजेपी के लिए प्रचार शुरू कर दिया."
उन्होंने कहा कि बीजेपी को छोड़ दें तो अन्य सभी पार्टियां गंगा, गऊ माता, राम मंदिर के मुद्दे पर हिंदुओं पर हमला करती हैं.
इन दिनों देवरिया, गोरखपुर, गाजीपुर और वाराणसी में साइकिल से प्रचार के लिए निकले डंडा गुरू ने बताया "अब तक मैं उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र का दौरा कर चुका हूं."
यह पूछे जाने पर कि उनकी यात्रा आदि का खर्च कैसे निकलता है, उन्होंने बताया, "मेरी यात्रा का खर्च कोई पार्टी नहीं उठाती.. मुझे किसी की खुशामद करना पसंद नहीं. हिंदू बिरादरी के लोग अपनी श्रद्धा से रूपये या सामान दे देते हैं. मेरे पास सामान के नाम पर साइकिल, दो जोड़ी कपड़े और खाने पीने की कुछ सामग्री होती है."
उनका नाम डंडा गुरू कैसे पड़ा ? इस पर तारा शंकर मिश्र ने बताया कि गांव में एक नर्सरी स्कूल में उन्हें शिक्षक की नौकरी मिली थी. तब वह एक डंडा अपने पास रखते और बच्चों को पढ़ने के लिए डंडे का भय दिखाते थे. जब भी वह किसी विद्यार्थी के घर जाते, उसके अभिभावक कहते कि देखो डंडा गुरू आए हैं और वह डंडा गुरू कहलाने लगे.
तारा शंकर मिश्र के पास गांव में पुश्तैनी जमीन है जिस पर खेती कर वह खाद्यान्न की जरूरत पूरी करते हैं. बड़ा बेटा छत्तीसगढ़ में एक मंदिर में पुजारी है जबकि छोटा बेटा 12वीं का छात्र है. उनकी एक बेटी है जिसकी शादी अगले वर्ष करने की उनकी योजना है. मिश्र की पत्नी गृहणी है.
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