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प्रयागराज: कुंभ मेले में दो धर्म संसद होने से दुविधा में संत और श्रद्धालु, लोकसभा की तर्ज पर होगी शंकराचार्य की धर्म संसद
शंकराचार्य की धर्म संसद में खुद द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के साथ ही पूरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती व तकरीबन डेढ़ सौ देशों के प्रतिनिधियों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है. इस धर्म संसद में देश की सभी 543 लोकसभा सीटों से एक एक प्रतिनिधि को भी ख़ास तौर पर बुलाया गया है.
प्रयागराज: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समेत कई अन्य मुद्दों पर प्रयागराज के कुंभ मेले में इस बार दो धर्म संसद आयोजित हो रही हैं. विश्व हिन्दू परिषद की दो दिनों की धर्म संसद जहां इकतीस जनवरी से शुरू होगी, वहीं द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा बुलाई गई परम धर्म संसद आज (सोमवार 28 जनवरी) से शुरू हो रही है. शंकराचार्य की तीन दिनों की धर्म संसद के लिए कुंभ मेले में संसद भवन के मॉडल का पंडाल बनाया गया है. अंदर बैठने की व्यवस्था भी संसद के अंदर की तर्ज पर ही की गई है.
शंकराचार्य की धर्म संसद में खुद द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के साथ ही पूरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती व तकरीबन डेढ़ सौ देशों के प्रतिनिधियों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है. इस धर्म संसद में देश की सभी 543 लोकसभा सीटों से एक एक प्रतिनिधि को भी ख़ास तौर पर बुलाया गया है. शंकराचार्य की धर्म संसद में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समेत तकरीबन सौ बिंदुओं पर चर्चा होनी है. इस परम धर्म संसद के आख़िरी दिन तीस जनवरी को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा प्रयागराज के कुंभ मेले से अयोध्या कूच करने की तारीख का एलान भी किया जाना है.
शंकराचार्य और वीएचपी द्वारा अलग-अलग धर्म संसद बुलाए जाने से कुंभ मेले में उहापोह की स्थिति बनी हुई है. दोनों ही धर्म संसदों के आयोजक अपनी धर्म संसद से ठोस नतीजा निकलने का दावा करते हुए इशारों में दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. वीएचपी का कहना है कि उनकी धर्म संसद का एलान तकरीबन सात आठ महीने पहले हो गया था. ज़्यादातर संत महात्मा उनकी ही धर्म संसद में आएंगे और वही संगठन को मंदिर समेत बाकी मुद्दों पर आगे काम करने की दिशा तय करेंगे तो दूसरी तरफ शंकराचार्य की परम धर्म संसद के आयोजक और उनके उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का साफ़ तौर पर कहना है कि शंकराचार्यों की मौजूदगी के बिना होने वाली धर्म संसद का कोई औचित्य नहीं है.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के मुताबिक़ विश्व हिन्दू परिषद इस धर्म संसद के बहाने सिर्फ बीजेपी के लिए पॉलिटिकल प्रपोगंडा ही कर रही है. उन्होंने मोदी सरकार पर मंदिर मुद्दे पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए अपनी परम धर्म संसद में कोई ठोस नतीजा निकलने की बात कही है. शंकराचार्य की परम धर्म संसद कुंभ मेले के सेक्टर नौ में गंगा सेवा अभियानम के कैम्प में होगी. कैम्प में संसद भवन के मॉडल का शिविर तैयार किया गया है. अंदर बैठने का इंतजाम भी संसद की तर्ज पर ही किया गया है. मंदिर समेत अन्य मुद्दों पर दो दो धर्म संसद होने से सर्दी के मौसम में भी कुंभ का माहौल गर्म हो गया है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion