प्रयागराज: मोदी सरकार में मंत्री निरंजन ज्योति प्रयागराज में लगने जा रहे कुंभ मेले में महामंडलेश्वर बनेंगी. उन्हें सन्यासियों का निरंजनी अखाड़ा महामंडलेश्वर की पदवी देगा. निरंजनी अखाड़ा इसके लिए कुंभ मेले में समारोह आयोजित करेगा, जिसमें परम्पराओं के मुताबिक़ सभी तेरह अखाड़ों के साधू-संत शामिल होंगे. मंत्री निरंजन ज्योति को महामंडलेश्वर की पदवी उनके आध्यात्मिक गुरु स्वामी परमानंद की मौजूदगी में दी जाएगी.


निरंजनी अखाड़े ने साध्वी निरंजन ज्योति को महामंडलेश्वर बनाने का फैसला धर्म और आध्यात्म के प्रति उनकी सेवा व समर्पण भाव को देखते हुए लिया है. हालांकि अभी यह तय नहीं है कि महामंडलेश्वर बनने के बाद भी निरंजन ज्योति सक्रिय राजनीति में बनी रहेंगी या फिर सियासत से सन्यास लेकर पूरा वक्त धर्म के प्रचार-प्रसार में ही लगाएंगी.



प्रयागराज में अगले महीने से शुरू हो रहे कुंभ मेले में केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लम्बे समय से आंदोलन कर रही साध्वी ऋतंभरा को भी महामंडलेश्वर बनाया जाएगा. साध्वी ऋतंभरा भी सन्यासियों के अखाड़े निरंजनी में ही महामंडलेश्वर बनेंगी. ऋतंभरा पिछले करीब 28 सालों से राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन चला रही है. साध्वी ऋतंभरा ने साल 1991 में वीएचपी की महिला विंग दुर्गा वाहिनी की स्थापना की थी. निरंजन ज्योति और ऋतंभरा को महामंडलेश्वर की पदवी देने का फैसला निरंजनी अखाड़े की कमेटी ने एक बैठक में किया है. ज़्यादा संभावना इस बात की है कि दोनों को मकर संक्रांति के पहले स्नान पर्व के बाद की किसी तिथि पर महामंडलेश्वर की पदवी दी जाएगी.



निरंजनी अखाड़े के सचिव और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि का कहना है कि मंत्री निरंजन ज्योति को महामंडलेश्वर की पदवी देने का फैसला उनके गुरु स्वामी परमानंद का है. स्वामी परमानंद खुद भी निरंजनी अखाड़े में महामंडलेश्वर हैं. उनके मुताबिक़ धर्म के प्रति समर्पित व उसके प्रचार से जुड़ने के इच्छुक संतों व विद्वानों को ही कुंभ मेलों के दौरान महामंडलेश्वर की पदवी दी जाती है. वैसे इस बात की उम्मीद ज़्यादा है कि महामंडलेश्वर बनने के बाद मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का एलान कर सकती हैं.