प्रयागराज: हर तरफ तबाही मचाने के बाद खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना के बाद गंगा का भी जलस्तर घटने लगा है. गंगा-यमुना दोनों एक-एक सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से घट रही हैं. इससे लोगों ने राहत की सांस तो ली है, लेकिन दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं. गलियों-बस्तियों से पानी सिमटने के साथ ही अब वहां संक्रमण फैलने की आशंका है. उधर, हमीरपुर, बांदा में जल स्तर तेजी से घटने से अगले 48 घंटे में यहां भी तटवर्ती इलाकों में भरा जल काफी हद तक उतरने की बात कही जा रही है.
खतरे के निशान से करीब एक मीटर ऊपर जाने के बाद यमुना तो शनिवार की रात से मामूली गति से घटने लगी, लेकिन गंगा का जलस्तर रात भर स्थिर रहा. सुबह से गंगा के जलस्तर के भी घटने का क्रम शुरू हुआ, लेकिन उतार-चढ़ाव बने रहने की वजह से लोग दिल थामे रहे. दोपहर दो बजे फिर गंगा स्थिर हो गई. हालांकि छतनाग में गंगा और नैनी में यमुना के घटने से थोड़ी राहत महसूस की जाती रही.
रात दस बजे से फिर गंगा-यमुना में क्रमश: एक-डेढ़ सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से घटाव शुरू हो गया. सिंचाई विभाग बाढ़ खंड की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार फिलहाल चंबल, केन और बेतवा के बांधों से बड़ी जलराशि नहीं छोड़ी गई है.
शहर के तीन दर्जन से ज़्यादा मोहल्ले अब भी जलमग्न हैं. सत्तर से ज़्यादा गांवों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है. तमाम रास्ते और सड़कें अब भी बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं. बाढ़ की वजह से सभी स्कूल कालेज और कोचिंग संस्थान अब छब्बीस सितम्बर तक बंद रखे जाने के आदेश दिए गए हैं.
बाढ़ की वजह से अकेले प्रयागराज में पांच लाख से ज़्यादा की आबादी प्रभावित है. यहां अब भी चारों तरफ पानी ही पानी नज़र आ रहा है. अगर पानी आज भी घटता रहा, तब भी हालात सामान्य होने में करीब हफ्ते भर का वक्त लग जाएगा. यहां पांच हज़ार से ज़्यादा लोग अब भी बाढ़ राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं, जबकि डेढ़ लाख से ज़्यादा लोग घर बार छोड़कर दूसरी जगहों पर रहने को मजबूर हैं.
यूपी: रामपुर में उपचुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने की डीएम, एसपी को हटाने की मांग
ग्रामीण क्षेत्र में काम करने को लेकर डॉक्टरों से भरवाया जाएगा बांड: योगी आदित्यनाथ