'पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' को बंद कराने की तैयारियां पूरी : DGP ओपी सिंह
यह एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है. दक्षिण भारत के राज्यों में संगठन काफी सक्रिय है, चुनाव भी लड़ता रहा है. उत्तर प्रदेश में पिछले 6 महीने में संगठन तेजी से फैला है. इस संगठन पर नागरिकता कानून पर विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने का शक है.
लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में सूबे की शांति भंग करने वालों से निपटने को योगी की पुलिस अपनी पर उतर आई है. राज्य में हुए अधिकांश हिंसा के लिए जिम्मेदार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई को काबू करने के लिए यूपी पुलिस ने जो फार्मूला निकाला है, अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इस फार्मूले का कोई 'तोड़' हाल-फिलहाल तो पीएफआई के पास नजर नहीं आता है. सूबे की हुकूमत और उसकी पुलिस का मानना है कि जब तक पीएफआई को काबू नहीं किया जाएगा, तब तक बे-वजह के बवाल-हिंसा होते रहेंगे.
सोमवार को इसकी पुष्टि खुद उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने की. डीजीपी ओ.पी. सिंह ने कहा, "यूपी में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में अब तक हम अलग अलग जगहों से पीएफआई के 23 लोगों को गिरफ्तार कर चुके हैं. इससे साफ है कि इन दंगों के पीछे किसका प्रमुख हाथ है? पीएफआई के जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनसे कई और भी महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं. इन जानकारियों को फिलहाल 'आम' तो नहीं किया जा सकता है. हां, यह जानकारियां मगर बेहद चौंकाने वाली और देश में अशांति फैलाने वाली हैं. सबसे पहले शांति-भाई चारा जरूरी है. शांति-सद्भभाव रहेगा तो कानून-व्यवस्था भी चुस्त दुरुस्त रहेगी."
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में फसाद तो देश के कई हिस्सों में हुए. देश की राजधानी दिल्ली के जामिया नगर, जाकिर नगर, सीलमपुर-जाफरबाद, दरियागंज इलाके भी जले. फिर यूपी पुलिस ही पीएफआई को लेकर इतनी सख्त क्यों? पूछे जाने पर सूबे के पुलिस महानिदेशक ने बताया, "दरअसल जब पानी सिर से ऊपर हो जाए तो उसे रोकना बेहद जरूरी है. इन दंगा-फसाद में यूपी पुलिस के पास इतने सबूत-गवाह आ चुके हैं, जो पीएफआई को पाबंद (प्रतिबंधित) करने/ कराने के लिए संपूर्ण हैं."
यूपी पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को प्रतिबंधित करने को लेकर तो करीब 6 महीने पहले भी फाइलें एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर भेजी थीं क्या हुआ उन फाइलों के बाबत? पूछे जाने पर राज्य पुलिस मुखिया ने आईएएनएस से कहा, "हां कुछ बात पहले चली थी. ज्यादा ध्यान नहीं. अब मगर सब कुछ करीब करीब तय हो चुका है. राज्य पुलिस मुख्यालय बहुत ही जल्दी राज्य सरकार से सिफारिश करेगी कि जैसे भी संभव हो पीएफआई को जनहित में प्रतिबंधित कर दिया जाए."
क्या राज्य सरकार अपनी पुलिस की सिफारिश पर पीएफआई को प्रतिबंधित कर सकती है? पूछे जाने पर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने आईएएनएस से कहा, "नहीं ऐसा नहीं है. हम (यूपी पुलिस) राज्य सरकार को लिखेंगे. हमारी (यूपी पुलिस की) सिफारिश पर राज्य सरकार केंद्रीय गृह-मंत्रालय को वे सबूत पेश करेगी, जिनके बलबूते हम (यूपी पुलिस) इस विवादित संगठन यानी पीएफआई को तत्काल प्रतिबंधित करने की गुजारिश कर रहे हैं. हमारे पास इतने सबूत हाल-फिलहाल आ चुके हैं जिनके दम पर इस संगठन को प्रतिबंधित करने की सिफारिश केंद्रीय गृह-मंत्रालय से की जा सकती है."
डीजीपी यूपी ओपी सिंह ने दोहराया, "जब काफी कुछ ठोस हाथ आया तभी यह कदम बढ़ाने की सोच पा रहे हैं."
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