(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लोगों को दिलाया गोरखपुर को 'सिटी ऑफ नॉलेज' के रूप में स्थापित करने का संकल्प
महामहिम ने कहा कि 2032 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाया जाएगा और गोरखपुरवासी ये संकल्प लें कि वे 2032 में शहर को सिटी ऑफ नॉलेज के रूप में स्थापित करेंगे.
गोरखपुरः गोरखनाथ मंदिर के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 86वें स्थापना दिवस समारोह का मुख्य महोत्सव सोमवार को पूरा हुआ. इस दौरान महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शहरवासियों को डेढ़ दशक बाद 2032 में सिटी ऑफ नॉलेज के रूप में स्थापित करने का संकल्प दिलाया. उन्होंने कहा कि 2032 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाया जाएगा और गोरखपुरवासी ये संकल्प लें कि वे 2032 में शहर को सिटी ऑफ नॉलेज के रूप में स्थापित करेंगे.
महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राष्ट्रपति रामनाथ कोंविद ने छात्र-छात्राओं और समारोह में उपस्थित गणमान्य लोगों को संबोधित करते हुए गोरखपुर के महापुरुषों को याद किया. गोरखपुर क्षेत्र रोशन अली शाह, मोहम्मद सैयद हसन, बाबू बंधू सिंह और रामप्रसाद बिस्मिल जैसे शहीदों की स्मृतियों से भरा है. बाबा राघव दास जैसे राष्ट्रसेवी संत और महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली भी है.
उन्होंने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के कथा संसार में गोरखपुर खासकर यहां के ग्रामीण अंचल की झलक मिलती है. फिराक गोरखपुरी ने उर्दू साहित्य में गोरखपुर के नाम को अमर कर दिया. गोरखपुर में स्थित गीता प्रेस ने आध्यात्कि और नैतिक मूल्यों को प्रसारित करने वाला प्रमाणित साहित्य उपलब्ध कराकर अपना अतुलनीय योगदान दिया. गीता प्रेस के संस्थापक स्व. जयदयाल गोयन्दका का अविस्मरणीय योगदान है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने अपना नेतृत्व दिया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार संभालने से पहले सक्रिय सांसद के रूप में गोरखपुर को उनका निरंतर नेतृत्व दो दशकों से प्राप्त हो रहा है. उन्होंने राष्ट्रीय और प्रादेशिक समस्याओं की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया और उसके समाधान का प्रयास किया. ये प्रदेश में रहने वाले लोगों का भी सौभाग्य है कि रामनाइक के रूप में अनुभवी व्यक्तित्व राज्यपाल के रूप में मिले हैं.
शिक्षा विकास कुंजी होती है. भारत के विकास का अर्थ है भारत की शिक्षा पर बल दिया जाए. शिक्षा विकास और समाज के निर्माण की आधारशिला है. सही मायने में उसी समाज और व्यक्ति को शिक्षित माना जा सकता है जहां प्रेम, करुणा और सद्भाव जैसे गुणों को समान महत्व दिया जाए. शिक्षा के इस व्यापक अर्थ के अनुसार गौतम बुद्ध, संतकबीर भी महान शिक्षक थे. ये इस अंचल का सौभाग्य है कि गौतम बुद्ध से जुड़े कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु और संतकबीरनगर से जुड़ा महगर भी यहीं पर है. शिक्षा बच्चों को अच्छा इंसान बनाती है.
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित राज्यपाल रामनाइक ने भी छात्र-छात्राओं को निरंतर आगे बढ़ते रहने का संदेश दिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के स्थापना से लेकर शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान पर प्रकाश डाला. इस अवसर पर केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल, सांसद, विधायक, महापौर सीताराम जायसवाल समेत गोरखनाथ मंदिर, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद और अन्य सहयोगी संस्थाओं से जुड़े लोग उपिस्थत रहे.