नई दिल्ली: प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान दिये जाने के बाद से सूबे में राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है. बीजेपी का कहना है कि प्रियंका को जिम्मेदारी देने के बाद भी कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में कोई फायदा नहीं होगा. वहीं कांग्रेस प्रियंका के सहारे चुनावी तैयारी में जोर-शोर से जुट गई है. यही वजह है कि कांग्रेस दिल्ली की बजाय लखनऊ में 4 फरवरी को प्रियंका को चार्ज दिलवाएगी. इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रहेंगे. इस बीच खबर है कि प्रियंका गांधी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं. रायबरेली कांग्रेस का गढ़ माना जाता है.


सक्रिय राजनीति में आने से पहले प्रियंका रायबरेली और अमेठी में सक्रिय रही थी. अब तक वह भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी के चुनाव प्रचार को देख रही थी. इन दोनों ही सीटों पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने उम्मीदवार नहीं उतारने का पहले की एलान कर चुकी है. प्रियंका के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर पार्टी अब तक चुप है. हालांकि राहुल गांधी ने जरूर कहा है कि चुनाव लड़ने पर फैसला खुद प्रियंका गांधी को करना है.


पिछले दिनों अमेठी दौरे पर गए राहुल गांधी ने कहा था कि प्रियंका को यहां जिम्मेदारी दी गई है. अब वह यहां (उत्तर प्रदेश) पर कांग्रेस का अपना सीएम (मुख्यमंत्री) बैठाने का काम करेंगी. राहुल ने कहा कि उनकी पार्टी अब अपनी पूरी ताकत के साथ उत्तर प्रदेश की जंग लड़ेगी.


प्रियंका गांधी का राजनीति में कदम बदल सकता है यूपी का सियासी माहौल


प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने से कांग्रेस कार्यकर्ता उत्साहित हैं. कार्यकर्ताओं ने कई जगह पोस्टर लगाए हैं जिसमें प्रियंका गांधी और उनकी दिवंगत दादी इंदिरा गांधी के बीच समानता बताते हुए पोस्टर पर लिखा हुआ था- 'वापस आई इंदिरा'.


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