नई दिल्ली: महाराष्ट्र के साथ साथ बिहार में भी सियासी हलचलें तेज हैं. महागठबंधन की एकता दिखाने के पहले उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्र सरकार और बिहार में नीतीश सरकार के खिलाफ धरने पर बैठने का ऐलान किया है. कुशवाहा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर बयाया कि महागठबंधन के तमाम नेता बुधवार को केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ धरना देंगे.


रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में महागठबंधन को साथ लाने और केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की मोदी सरकार को घेरने का ऐलान किया है. महागठबंधन में चल रही दरार की ख़बरों के बीच कुशवाहा ने कहा कि बिहार में इस धरने की तैयारी चल रही है. बीच में कनफ्यूजन बनाने की कोशिश की गई. कार्यक्रम के सिलसिले में अलग-अलग तरीक़े से बात होने लगी, लेकिन इन बातों में कोई दम न पहले था और न अब है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जेडीयू से अलग हुए उपेन्द्र कुशवाहा ने कई मुद्दों का ज़िक्र एकसाथ करते हुए केंद्र-राज्य सरकार पर निशाना साधा. कुशवाहा ने कहा कि ये कार्यक्रम जनता का कार्यक्रम है. क्योंकि केंद्र सरकार के रवैये की वजह जनता परेशान है. नौजवान परेशान है, क्योंकि जो रोजगार पहले से मिला है वो भी छिना जा रहा है. किसान भी परेशान है, बिहार सरकार ने किसानों के लिए रोडमैप बनाने की बात कही थी. लेकिन वो कहां है अभी पता नहीं है. बिहार में लॉ एंड आर्डर ध्वस्त हो गया.


उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि इस धरने में महागठबंधन के साथ-साथ वामदल भी साथ रहेंगे. जो लोग महागठबंधन में बयानबाजी करते हैं, वो पहले अपने पार्टी के नेताओं को पूछ लें, फिर बयानबाजी करें. क्योंकि इससे कनफ्यूजन की स्थिति उत्पन्न होती है और बाद में पार्टी को आधिकारिक बयान जारी करना पड़ता है. आरजेडी ने आधिकारिक रूप से कह दिया है वो भी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. जीतनराम मांझी महागठबंधन में हैं और रहेंगे. महागठबंधन के सभी दल समेत वामदल भी मौजूद रहेंगे. हालांकि जीतन मांझी के महागठबंधन से अलग होने की खबरें मीडिया में आई थीं और इसको लेकर तेजस्वी यादव ने बयान दिया था कि पार्टी का अपना फैसला होता है.जीतन मांझी थे और अब नहीं हैं तो ये उनका ख़ुद का फैसला है. बाद में अलग होने की बात से जीतन मांझी ने खुद को दरकिनार कर लिया था.


गौरतलब है कि इस धरने को लेकर शुरुआत से सभी दलों की सहमति नहीं बन पा रही थी. कुशवाहा ने कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस और वाम दलों के नेताओं के साथ साझा पीसी कर ऐलान कर दिया था. हालांकि सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना देने को लेकर आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने संगठन चुनाव का हवाला देते हुए इस आयोजन से दूर रहने की बात की थी लेकिन मंगलवार को कुशवाहा की मीडिया से हुई बातचीत ये स्पष्ट हो गया कि आरजेडी ने भी अब ये स्पष्ट कर दिया कि वह विपक्षी दलों के धरने में शामिल होगी. वहीं कांग्रेस ने भी अपनी तरफ से इस धरने में शामिल होने के लिए हां कह दिया है. कुशवाहा ने बताया कि ये धरना प्रदर्शन गांधी मैदान की गांधी मूर्ति से शुरू होकर कलेक्ट्रेट तक जाएगा.