इलाहाबाद: वंदे मातरम की अनिवार्यता को लेकर नगर निगम सदन में जमकर हंगामा, रद्द हुई बैठक
इलाहाबाद: राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की अनिवार्यता को लेकर इलाहाबाद के नगर निगम सदन में आज जमकर हंगामा हुआ. हंगामे के चलते सदन की बैठक एक भी बार शुरू नहीं हो सकी. वंदे मातरम की अनिवार्यता को लेकर बीजेपी और विपक्षी पार्टियों के पार्षद सदन में ही आपस में भिड़ गए और एक- दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. बहरहाल मेयर का सपोर्ट मिलने पर बीजेपी पार्षदों ने सदन में ही काफी देर तक जय श्री नाम के नारे लगाए.
सदन को खाली कराकर हॉल में लगा दिया गया ताला
माहौल खराब होने और विवाद बढ़ने पर सदन को खाली कराकर हॉल में ताला लगा दिया गया और बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया. बहरहाल मेयर ने सदन की बैठक को अब अनिश्चित काल के लिए रद्द कर दिया है. बीजेपी पार्षद ज़िद पर अड़े हैं कि जब भी सदन की बैठक शुरू होगी, वह बहुमत के आधार पर वंदे मातरम से शुरुआत करने और राष्ट्रगान जन -गण-मन से समापन करने का प्रस्ताव पास करा लेंगे.
इलाहाबाद के नगर निगम में इन दिनों बीजेपी का बहुमत हो गया है. यह बहुमत मेयर अभिलाषा गुप्ता के दो महीने पहले बीजेपी में शामिल होने के बाद आया है. नगर निगम सदन का बजट सत्र आज से शुरू होना था. सत्र शुरू होने से कई दिन पहले ही बीजेपी पार्षदों ने सदन की शुरुआत राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के साथ कराए जाने और समापन राष्ट्रगान से किये जाने का प्रस्ताव मेयर को दिया था. आज दोपहर सदन की बैठक शुरू होते ही वंदे मातरम के मुद्दे पर बीजेपी और विपक्षी पार्टियों के पार्षद आमने-सामने हो गए.
मेयर के आसन तक पहुंच गए दोनों पक्ष के पार्षद
प्रस्ताव को लेकर विपक्षी पार्षदों ने शुरुआत में ही नारेबाजी शुरू कर दी तो बीजेपी के पार्षद जय श्री राम के नारे लगाने लगे. मामला बढ़ने पर दोनों पक्ष के पार्षद अध्यक्ष यानी मेयर के आसन तक पहुंच गए. हंगामा बढ़ने पर सदन ने आधे घंटे के लिए बैठक स्थगित कर दी.
बहरहाल तीन बार सदन चलाने की कोशिश की गई, लेकिन हंगामे के चले यह कोशिश कामयाब नहीं हो सकी. बहरहाल बाद में सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया. विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सदन के भगवाकरण की कोशिश की जा रही है, वहीं बीजेपी पार्षदों का कहना है कि कोई भी राष्ट्र से ऊपर नहीं है और सबकों वंदेमातरम व राष्ट्रगान गाना ही चाहिए. मेयर अभिलाषा गुप्ता भी इसके पक्ष में हैं लेकिन उनका कहना है कि यह बाध्यकारी नहीं होना चाहिए.