वह बीमार पिता का इलाज करा रहे थे तो मां के लिए पक्का मकान बनवा रहे थे. छोटे भाई की पढ़ाई और इकलौती बहन की शादी के साथ ही पत्नी व दो मासूम बच्चों को पालने का ज़िम्मा भी उन्हीं के पास था.
मिलनसार स्वभाव के महेश की शहादत पर परिवार ही नहीं पूरे गांव में मातम का माहौल है. चार और छह साल के मासूम बेटों को इस बात का एहसास भी नहीं कि पिता का साया उनके सिर से उठ चुका है. रोती बिलखती पत्नी संजू देवी के पास अपना दुख बयां करने करने के लिए शब्द नहीं है.
बहन संजना और मां शांति देवी इस कदर गुस्से में हैं कि पीएम मोदी और उनकी सरकार से इस हमले का बदला फ़ौरन लिए जाने की मांग कर रहे हैं. बारहवीं क्लास की पढ़ाई कर रही बहन संजना के आंसू तो थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.
वह बार बार पीएम मोदी से हमलावरों व उनके मददगारों को इसी तरह बम से धमाका कराकर उड़ाने की अपील कर रही है.
महेश कुमार यादव प्रयागराज के यमुनापार के मेजा इलाके के रहने वाले थे. दो भाईयों और इकलौती बहन में सबसे बड़े महेश को उनके पिता सुरेश ने ऑटो रिक्शा चलकर पढ़ाया और पाला था. महेश बचपन से ही देश के लिए लड़ने का सपना देखते थे, इसीलिये उन्होंने खेती करने के साथ ही पढ़ाई जारी रखी और 2016 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए.
पिता सुरेश गंभीर रूप से बीमार रहते हैं. छोटा भाई उनका इलाज कराने मुम्बई गया हुआ था. सोमवार को प्रयागराज से वापस जाते वक्त उन्होंने दोनों बेटों चार साल के साहिल व छह साल के समर से जल्द ही तोहफे लाने की बात कही थी. अगली बार लौटने पर उन्हें बहन का रिश्ता तय करने जाना था. महेश की शहादत के बाद परिवार अब अनाथ हो गया है.
महेश इतने मिलनसार व हंसमुख थे कि उन्हें याद कर पूरा गांव रो रहा है. परिवार और गांव के लोग पीएम मोदी व उनकी सरकार से महेश की मौत का बदला लेने व आतंकियों और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिए जाने की मांग कर रहे हैं. लोगों को उम्मीद है कि पीएम मोदी इस बार अपने वायदे को ज़रूर निभाएंगे और देश से आतंक का खात्मा करेंगे.