मेरठ: पुलवामा में आतंकियों से साथ मुठभेड़ में शहीद हुए मेरठ के अजय कुमार का राजकीय सम्मान के साथ आज अंतिम संस्कार किया गया. अजय के ढाई साल के बेटे आरव ने पिता को मुखाग्नि दी. मगर थोड़ी देर बाद जब आग की लपटें ऊंची हुई तो चिता में अपने पिता को जलते देख आरव का रोना फूट पड़ा. मेरठ के बसा टीकरी गांव में यह दृश्य देखकर अच्छे-अच्छों के कलेजे कांप गये.
शहीद अजय कुमार ने 2011 में भारतीय सेना में नौकरी ज्वाइन की थी. मार्च 2015 में उनकी विवाह प्रियंका के साथ हुआ. उनका बेटा आरव अभी महज ढाई साल का है. पिता की शहादत की खबर 18 फरवरी को सुबह तीन बजे परिवार के पास पहुंची. तब से पूरे परिवार और आसपास विलाप की आवाजें आरव को परेशान कर रही थी. मगर वह मासूम नहीं समझ पाया कि आखिर हुआ क्या है.
आज सुबह करीब 11 बजे शहीद अजय कुमार का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा. सेना का लाव-लश्कर और घर के बाहर हजारों लोगो की भीड़ देखकर आरव का मन परेशान था. हर चेहरा उसे रोता हुआ दिख रहा था. घर के आंगन में जब पिता का पार्थिव शरीर पहुंचा तो उसे देखकर घर के लोग विलाप करते दिखे. पिता की अंतिम यात्रा के दौरान वह अपने दादा की गोद में था. वह कभी खुद रोते तो वह भी रोने लगता था. उसे रोता देखकर वह चुप हो जाते और नन्हें आरव को पुचकारते हुए चुप करने की कोशिश करने लगते थे.
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अन्तेष्टि स्थल पर ताबूत से निकालकर शहीद का शरीर चिता पर रखा गया. अपने दादा की गोद में आरव देख रहा था कि जिन पापा को इतने सारे लोग लेकर घर के आंगन में आये. उनको लकड़ियों की चिता पर रख दिया. इसके बाद वहां आये लोगो ने शहीद की चिता पर फूल-मालाऐं चढ़ाकर शहीद को नमन किया. श्रद्धांजलि के बाद आरव के हाथ से ही अजय कुमार को मुखाग्नि दिलाई गयी.
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यहां तक को वह चुप रहा..लेकिन जब 20 मिनट बाद चिता से आग की ऊंची लपटें उठना शुरू हुई तो उसकी चीख निकल गई. यह देखकर कि उसके पापा को आग में जलाया जा रहा है, वह डरकर बुरी तरह रोने लगा. उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. किसी तरह दादा ने उसे चुप कराने की कोशिश की. उसकी आवाज गले से बाहर नही आ पा रही थी लेकिन उसकी सिसकियां किसी भी पत्थरदिल को भी रूलाने के लिए काफी थी.