पटना: 5 दिसंबर को पटना विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव होने हैं. यूं तो छात्रसंघ चुनावों में वैसे भी गहमागहमी की स्थिति बनी रहती है लेकिन इस बार के PUSU के चुनाव बेहद ही अहम हो चुके हैं. ये चुनाव अब बीजेपी और जेडीयू के लिए नाक का सवाल बन चुका है. कभी अपनी चुनावी रणनीति से देश की राजनीति प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले प्रशांत किशोर अब एक विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव को प्रभावित करने का आरोप झेल रहे हैं. ये आरोप विरोधी दलों के साथ ही उनके ही सहयोगी दल बीजेपी की तरफ से लगाया जा रहा है और बात तो यहां तक बढ़ चुकी है कि अब बीजेपी प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी की मांग पर उतर आई है.


मंगलवार को पटना के पीरबहोर थाने में बीजेपी विधायकों और कार्यकर्ताओं ने प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया. बीजेपी विधायक नितिन नवीन ने कहा कि प्रशांत किशोर का चेहरा बेनकाब हो चुका है, उन्होंने अपनी साख गंवा दी है और वो उम्मीद करते हैं कि मुख्यमंत्री इस पर कार्रवाई करेंगे.


दरअसल बीते दिनों चुनाव प्रचार के दौरान छात्र जेडीयू और एबीवीपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी जिसमें पटना यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष और एबीवीपी का साथ छोड़कर जेडीयू का दामन थामने वाले दिव्यांशु भारद्वाज घायल हो गए. इस घटना के बाद पुलिस ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जिसपर बीजेपी बिफर पड़ी. बीजेपी विधायकों ने प्रशांत किशोर पर प्रशासन और पुलिस पर दबाव डालने का आरोप लगाया. अभी ये मामला शांत भी नहीं हुआ था कि सोमवार शाम प्रशांत किशोर के पटना विश्वविद्यालय के वीसी रासबिहारी सिंह से मिलने की खबर सामने आई.


पता चला कि प्रशांत किशोर यूनिवर्सिटी में वीसी आवास में रासबिहारी सिंह से मुलाकात कर रहे हैं. फिर क्या था सैकड़ों की संख्या में विरोधी दलों के छात्र वीसी आवास के बाहर इकट्ठा हो गए और घंटों तक प्रशांत किशोर के खिलाफ नारेबाजी की. कई घंटों तक प्रशांत किशोर अंदर फंसे रहे लेकिन आखिरकार जब पुलिस की मौजूदगी में वे वीसी आवास से बाहर निकले तो आक्रोशित छात्रों ने उनकी गाड़ी पर पथराव शुरू कर दिया. इस हमले में प्रशांत किशोर घायल तो नहीं हुए लेकिन उनकी गाड़ी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई. इस हमले के बाद पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज कर दिया और कुछ छात्रों को हिरासत में भी ले लिया.


उन्हीं छात्रों की रिहाई और प्रशांत किशोर के खिलाफ आचार-संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए बीजेपी विधायक और कार्यकर्ता आज पीरबहोर थाने पर धरने पर बैठ गए. बीजेपी नेताओं का आरोप है कि कैम्पस में आचार संहिता लागू होने के बावजूद प्रशांत किशोर ने चुनावों को प्रभावित करने के मकसद से वीसी से मुलाकात की. हालांकि बीजेपी के इस आक्रामक रुख के बाद प्रशांत किशोर बैकफुट पर नज़र आए और उनकी ओर से सफाई दी गई कि वो अपने चाचा के साथ किसी दूसरे काम से वीसी से मुलाकात करने गए थे. इसकी तस्दीक करते हुए एक वीडियो भी वायरल किया गया जिसमें वीसी आपदा प्रबंधन पर बात करते हुए नज़र आ रहे हैं. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ये वीडियो खुद प्रशांत किशोर ने डैमेज कंट्रोल के लिए बनवाया हो.


बंद कमरे में वीसी और प्रशांत किशोर की मुलाकात के बाद कैम्पस ही नहीं बल्कि सूबे की राजनीति में उबाल आ चुका है. सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि आरजेडी, आप और तमाम विरोधी दल प्रशांत किशोर के खिलाफ मुखर हो गए हैं. आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी बीजेपी के बहाने प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार पर हमलावर हैं.


सूबे में अपनी पहचान स्थापित करने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी ने भी प्रशांत किशोर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आम आदमी पार्टी की स्टूडेंट विंग भी इस चुनावी मैदान में है और इसीलिए आज आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रशांत किशोर के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी की.


पटना विश्वविद्यालय में एबीवीपी, जाप, छात्र जेडीयू, महागठबंधन (आरजेडी और लेफ्ट पार्टियां), एनएसयूआई, आप की छात्र इकाई चुनावी मैदान में हैं. एबीवीपी और छात्र जेडीयू के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार फिलहाल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. छात्र जेडीयू के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मोहित प्रकाश के पिता बिहार से बाहर एक बड़े शराब कारोबारी हैं और विपक्षी दबी जुबान में नीतीश कुमार पर सवाल उठा रहे हैं कि शराब का विरोध करने वाले नीतीश कुमार ने एक शराब कारोबारी के बेटे को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया. हालांकि मोहित प्रकाश इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते.


वहीं एबीवीपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार अभिनव कुमार अपने 15 सूत्रीय घोषणापत्र का जिक्र करते हुए कहते हैं कि वो चुनाव छात्रों के मुद्दे पर लड़ रहे हैं और उनको प्रशांत किशोर के आने से कोई फर्क नहीं पड़ता.


पटना विश्वविद्यालय का छात्रसंघ चुनाव प्रशांत किशोर के लिए नाक का सवाल बन चुका है. चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की ये पहली चुनावी परीक्षा है जिसे पास करने के लिए उन्होंने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है. यही वजह है कि विरोधी ही नहीं बल्कि जेडीयू के सहयोगी दलों ने भी प्रशांत किशोर के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.


पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम पर गौर करें तो पूरी चुनावी लड़ाई एबीवीपी और जेडीयू के छात्र संगठन के बीच ही नज़र आ रही है लेकिन पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी का छात्र संगठन इन दोनों के ही अरमानों पर पानी फेर सकता है. नतीजे चाहे जो भी हों लेकिन इस पूरे चुनावी संग्राम में प्रशांत किशोर की साख पर बट्टा जरूर लग गया है. बीजेपी के आक्रामक रुख अखित्यार करने के बाद प्रशांत किशोर बैकफुट पर नजर आ रहे हैं और अगर इतनी जद्दोजहद के बाद भी जेडीयू का छात्र संगठन पीयूएसयू चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाता है तो इससे प्रशांत किशोर के चुनावी रणनीतिकार की छवि को गहरा झटका लगेगा. यही वजह है कि ये छात्रसंघ का चुनाव प्रशांत किशोर की नाक का सवाल बन गया है.


कल यानि 5 दिसंबर की सुबह 8 बजे से मतदान शुरू होगा जो दो बजे तक चलेगा. शाम 4 बजे से पटना सांइन्स कॉलेज में काउंटिंग होगी. सेंट्रल पैनल के पांच और काउंसलर के 23 पदों के लिए मतदान होगा. सेंट्रल पैनल में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष पद के लिए सभी कॉलेज और विभाग के विद्यार्थी मतदान करेंगे.


वहीं, पटना वीमेंस कॉलेज में काउंसलर में चार, कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट में एक, मगध महिला कॉलेज में तीन, बीएन कॉलेज में दो, पटना कॉलेज में दो, वाणिज्य महाविद्यालय में एक, पटना साइंस कॉलेज में दो, पटना लॉ कॉलेज में एक, पटना ट्रेनिंग कॉलेज में एक, फैकैल्टी ऑफ ह्यूमनिटीज में एक, फैकैल्टी ऑफ सोशल साइंस में दो, फैकैल्टी ऑफ कॉमर्स, एजुकेशन एंड लॉ को मिलाकर एक और फैकैल्टी ऑफ साइंस में एक काउंसलर पद के लिए संबंधित कॉलेज और विभाग के स्टूडेंट्स मतदान करेंगे.


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