पटना: बिहार में एक कहावत है, ‘खेत खाए गदहा, मार खाए जोलहा.’ बिहार में कुछ ऐसा ही इन दिनों हो रहा है. कोटा जाने के लिए जिस अधिकारी ने पास दिया उसे तो सस्पेंड किया ही गया, अब उस ड्राइवर को भी निलंबित कर दिया जिसके साथ विधायक अपनी बेटी को लाने कोटा गए थे.


दरअसल, जिस गाड़ी से बीजेपी विधायक अनिल सिंह कोटा गए थे वह गाड़ी बिहार विधान सभा की थी. विधान सभा में सचेतक होने के नाते अनिल सिंह को यह गाड़ी मिली थी. नियम के मुताबिक, गाड़ी को सिर्फ बिहार के अंदर ही चलाया जा सकता है. ऐसे में विधायक ने कोटा तक गाड़ी को दौड़ाया और फंस ड्राइवर पर गाज गिरी. ड्राइवर को विधान सभा सचिवालय से सफाई मांगी जिसका जवाब नहीं मिलने पर सस्पेंड कर दिया गया.


सस्पेंड करते हुए पत्र में लिखा गया, "सचेतक, सत्तारूढ़ दल अनिल सिंह, माननीय विधायक, हिसुआ, नवादा द्वारा सभा सचिवालय द्वारा आवंटित गाड़ी संख्या-BR-I-PJ-0484 को निजी कार्य हेतु बिहार राज्य से बाहर काटा (राजस्थान) ले जाने के मामला में संज्ञान लेते हुए बिहार विधान सभा सचिवालय के आदेश से शिवमंगल चौधरी, चालक, बिहार विधान सभा सचिवालय, पटना को 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण की मांग की गई थी. उपरोक्त गंभीर आरोप के आलोक में शिवमंगल चौधरी से प्राप्त स्पष्टीकरण के असंतोषजनक होने के कारण बिहार विधान सभा सचिवालय (भरती और सेवा शर्ते) नियमावली, 2018 के नियम-18 के अधीन उन्हें तत्काल प्रभाव से निलम्बित करते हुए उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संचालित करने का निर्णय लिया जाता है.’’


वहीं दूसरी तरफ एसडीओ को पहले ही सस्पेंड कर दिया गया है लेकिन धायक अनिल सिंह आराम से घूम रहे हैं. उनपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. अनिल सिंह ड्राइवर का बचाव करने सामने आते हैं और कहते हैं कि उन्होंने विधान सभा की गाड़ी का इस्तेमाल किया ही नहीं.


विधायक अनिल सिंह ने कहा, "मैंने बार बार कहा है कि ये बेवजह और बेबुनियाद बातें इस तरह से की जा रही हैं. मैंने विधिवत प्रक्रिया के साथ पास निर्गत कराया जिसमें दोनो गाड़ी का पास था और मैंने ट्रैवलिंग अपने गाड़ी से किया, जिसका नम्बर 0061 है. अब इसपर लोग हायतौबा मचाये हुए हैं, मुबारक हो उन लोगों को.’’


अनिल सिंह ने कहा, ‘’जिलाधिकारी ने पत्र को एडीओ को फॉरवर्ड किया तब पास निर्गत हुआ. हम देख रहे हैं कि कई लोग इस पर आपत्ति कर रहे हैं तो उनको नियम औऱ प्रक्रिया की जानकारी होनी चाहिए. अगर जानकारी नहीं तो पदाधिकारी से जानकारी लेनी चाहिए उन्हें मैंने बताया कि मैं अपने फॉर्च्यूनर गाड़ी 0061 गाड़ी से अपने बच्चों को लाया हूं और मैंने ऐसा कोई गलत काम नही किया जो विधी के खिलाफ हो.’’


अब सवाल उठता है कि जिसने पास बनाया और जो गाड़ी का ड्राइवर था उस पर तो कार्रवाई हो रही है लेकिन जिसने इन सबका फायदा उठाया वह तो आराम से है. अगर पास बनाना गलत था और गाड़ी का ड्राइवर गलत था तो जो गाड़ी लेकर गया वह पाक साफ कैसे हो सकता है.


आरजेडी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने ट्वीट कर नीतीश सरकार के इस रवैये पर प्रश्न उठाए हैं. राबड़ी देवी ने लिखा, ‘’बिहार सरकार के निर्णयों में असमानता है. जब नवादा के SDM को निलंबित किया गया है तो मुज़फ़्फ़रपुर के DM पर कारवाई क्यों नहीं हुई? निलंबित तो नवादा DM को करना चाहिए जिन्होंने आदेश दिया. आख़िर वरीय अधिकारियों ने गलती की है तो बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के साथ भेदभाव क्यों?’’


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘’नियमों का उल्लंघन करने वाले भाजपा MLA पर कोई कारवाई नहीं बल्कि उसके ग़रीब ड्राइवर को सज़ा. बुजुर्ग चौकीदार को दंड देने वाले ज़िला कृषि अधिकारी के कुकृत्य पर लीपापोती लेकिन छोटे कर्मचारियों को सज़ा. सरकार का इतना पक्षपाती रवैया क्यों? बड़े अफ़सरों को बचाओ, छोटे कर्मचारियों को फंसाओ यही NDA सरकार की अब तक की नीति रही है.’’ राबड़ी देवी के सवाल पर बीजेपी ने चुप्पी साध रखी है.


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