पटना: कल बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एलान कर दिया कि 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे. इस पर बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि सुशील मोदी बेचैन हो गए हैं. बता दें कि रविवार को आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के घर जाकर नीतीश कुमार उनसे मिले थे और चाय-नाश्ता भी किया था. इस मुलाकात का मुद्दा बिहार के सियासी गलियार में गरमाया हुआ है.
राबड़ी देवी ने कहा कि नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद सुशील मोदी बेचैन हो गए हैं. इस वजह से उन्हें सदन में ये घोषणा करनी पड़ी कि वे एक होकर लड़ेंगे. उनको ये बयान देने की जरूरत क्यों पड़ी? इस दौरान जब राबड़ी देवी से ये पूछा गया कि तेजस्वी यादव लगातार सदन से गायब हैं तो वो भड़क गईं. उन्होंने कहा कि तेजस्वी, सुशील मोदी के घर में हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री ने उधर आज विधान परिषद में नीतीश कुमार पर भी हमला किया. राबड़ी देवी ने कहा कि बिहार में बढ़ रहे अत्याचार पर सरकार को रोक लगानी चाहिए और कार्रवाई भी करनी चाहिए. उनका इशारा सारण जिले में हुए घटना की तरफ था. उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है. इसके साथ साथ दलितों पर भी अत्याचार हो रहा है. उन्होंने मांग की कि इस तरह की घटनाओं को जो लोग अंजाम दे रहे हैं उनपर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए. मॉब लिंचिंग की घटना पर रोक लगाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को कठोरतम कानून बनाना चाहिए.
सुशील मोदी ने क्या कहा था?
सोमवार को बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा था कि जेडीयू और बीजेपी के बीच सबकुछ ठीक है आरजेडी डूबता नाव है. उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार ही 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे. इसके साथ ही उन्होंंने कहा था, ''बिहार की जनता तुलना कर तय करेगी कि 2005 के पहले के 15 साल और उसके बाद के 15 साल के कार्यकाल में किस सरकार ने बेहतर कार्य किया है. पहले के 15 साल वाली सरकार ने बिहार को शमशान बना कर छोड़ दिया था, जिसका नतीजा हुआ कि 2005 में जब जदयू-भाजपा गठबंधन की नई सरकार आई तो उसे हर कार्य ‘प्रारंभ से प्रारंभ’ करना पड़ा था.''
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