पटना: बिहार के राघोपुर में दलितों के घर जलाए जाने की घटना के बाद जेडीयू लगातार आरजेडी पर हमला कर रही है. इस घटना के बाद अब जेडीयू की नजर गैर यादव जातियों को अपनी तरफ लाने पर पर है. जेडीयू ने सभी जातियों को आगाह किया है कि वे यादवों से बच कर रहें. राघोपुर के बहाने अब जेडीयू ने बाकी जातियों को अपने साथ फिर से लाने के लिए नया नारा दिया है. जेडीयू ने यादवों को दूसरी जातियों के लिए खतरा बताया है.


जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने एबीपी न्यूज से कहा, "राघोपुर की घटना न पहली न ही अंतिम है जब यादवों के द्वारा दलितों पर अत्याचार किया गया हो. यादवों के सशक्तिकरण का खामियाजा दलितों को भुगतना पड़ता है. हालांकि अन्य जातियां भी इनसे भयभीत होती हैं. उदहारण के तौर पर लालू-राबड़ी काल में दलितों के नरसंहारों की बाढ़ आ गई थी. लक्ष्मणपुर बाथे, सेनारी का दर्द आज भी जिंदा है.''


अजय आलोक ने कहा, ''यूपी में अखिलेश राज में बदायूं रेप केस कौन नहीं जानता है जब मुलायम सिंह ने कहा था कि लड़कों से गलती हो जाती है. मायावती ने कहा था कि 50 फीसदी दलितों पर अत्याचार बढ़ गया. 3000 एससी-एसटी मुक़दमे सपा कार्यकर्ताओं से वापस लिए गए. बुंदेलखंड दलित महिला संघर्ष समिति का मार्च आजतक लोगों के जेहन में है. हम उन खतरों से आगाह करते हैं कि जब-जब ये जाति सत्ता में आती हैं, इनके उबाल से सभी वर्ग भयभीत हो जाते हैं."


दरअसल नीतीश कुमार का महागठबंधन से अलग हुए 10 महीने से ज़्यादा हो गए हैं. इस बीच दो सीटों पर एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण की वजह से नीतीश कुमार को उपचुनाव में तेजस्वी यादव ने पटखनी दे दी. ऐसे में नीतीश एम-वाई समीकरण को तो नहीं तोड़ पाएंगे लेकिन यादवों के खिलाफ सीधे हमला कर बाकी जातियों को जोड़ने का रास्ता तैयार कर रहे हैं.


नीतीश कुमार ने 2005 में सत्ता में आते ही लालू यादव के जिन्न यानी अतिपिछड़ों और महादलितों को जोड़कर नया समीकरण तैयार किया था. अब इसे वापस अपने साथ जोड़ने की कवायद में यह भी एक कदम है.