लखनऊ: रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को यूपी में भला कौन नहीं जानता. 25 साल से निर्दलीय विधायक राजा भैया ने 25 साल की उम्र में पहला विधानसभा चुनाव जीत लिया था. उन पर बहुत से आरोप भी लगे, वो जेल भी गए लेकिन उनके रुतबे और रुआब में कभी कोई कमी नहीं आई. आज भी प्रतापगढ़ के कुंडा इलाके में उनकी हुकूमत चलती है और 'जनता' उन्हें 'राजा' मानती है. राजा भैया एक बार फिर से चर्चाओं में हैं.


इस बार राज्यसभा चुनाव को लेकर वह अखिलेश यादव की मदद करने वाले हैं. अखिलेश के डिनर से ये संकेत मिलते हैं कि अखिलेश ने राजा भैया को मैनेज कर लिया है और उन्होंने भी कह दिया है कि वह टीपू भैया के साथ हैं. पूरी खबर के लिए यहां क्लिक करें . राजा भैया के बारे में सब कुछ जानने के लिए इस खबर को अंत तक पढ़ें, और वीडियो देखना ना भूलें.



राजनीति की धुरी बने


1993 में पहली बार राजा भैया ने कुंडा विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था और जीते. इसके बाद से 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी हुए चुनाव में राजा भैया ने रिकार्ड मतों के अंतर से जीत दर्ज की. खास बात है कि हर बार के चुनाव में राजा भैया के मतों की संख्या बढ़ती जाती है. भदरी राजघराने के कुँअर और 6 चुनाव (1993-2017) में अपराजेय रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया 25 साल से निर्दलीय विधायक हैं.


1996 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने उन्हें ‘कुंडा का गुंडा’ बताया था. हालांकि दो साल बाद ही उन्होंने उनका समर्थन लेकर उन्हें मंत्री भी बना दिया. रघुराज प्रताप सिंह, कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में कार्यक्रम क्रियान्वयन, राम प्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह के मंत्रिमंडल में खेल और पिछली बार मुलायम सिंह के मंत्रिमंडल में खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री रह चुके हैं.


आरोप हैं कि संतोष मिश्र नाम के व्यक्ति को जिसे राजा भैया के लोगों ने 2001 में पीट-पीट कर मार डाला था. महज इसलिए क्योंकि उसकी बाइक राजा भैया की कार से टकरा गई थी. उसकी पत्नी विनीता ने 2003 में राजा भैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. मायावती ने न सिर्फ उन्हें जेल भेजा बल्कि उनके तालाब का अधिग्रहण भी कर लिया.


इस तालाब को लेकर कई तरह की चर्चाएं रही हैं. कई बार ऐसा कहा गया कि राजा भैया अपने विरोधियों को तालाब में फिंकवा देते थे. लेकिन ऐसा कभी किसी जांच में सामने नहीं आया और यह चर्चा महज 'चर्चा' ही रही.


2002 में भाजपा विधायक पूरन सिंह बुंदेला ने राजा भैया पर जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया था. मायावती ने उन्हें 2 नवम्बर 2002 की रात तीन बजे गिरफ्तार कर जेल भेजा था. वे कई महीने जेल में भी रहे हैं.


उन पर गैंगस्टर एक्ट से लेकर आतंकवाद निरोधक कानून पोटा तक लगा. मायावती सरकार ने उनके तालाब से एक कंकाल और एके-56 रायफल निकालने का दावा किया था. वे इसे बदले की कार्रवाई बताते हैं. हालांकि 2003 में मुलायम सिंह ने मुख्यमंत्री बनते ही पोटा हटा दिया. 2017 के चुनावी हलफनामे में उनके खिलाफ सिर्फ 1 मुकदमा दर्ज है.



दिलचस्प है राजा भैया की कहानी


राजा भैया के विधानसभा क्षेत्र में 10 हजार क्षत्रिय मतादाता हैं. वह अपने क्षेत्र में कई स्कूल और कॉलेज चलाते हैं जिससे स्थानीय लोगों में उनकी पैठ मजबूत हो गई है. यहां के राजपूतों के अलावा यादव और अन्य पिछड़ी जातियों का भी राजा भैया को खुला समर्थन रहता है. 2011 में माया सरकार में भी प्रत्याशियों की खरीद- फरोख़्त में राजा भैया जेल जा चुके हैं.


प्रतापगढ़ की राजनीति में अपना डंका बजाने वाले राजा भैया के जीवन की कहानी भी बहुत दिलचस्प है. समय-समय पर राजा भैया पर बहुत आरोप भी लगते रहे हैं लेकिन उन्होंने सभी आरोपों को खारिज करते हुए खुद की अलग पहचान बनायी. राजा भैया के दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे चुके हैं.


राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह विश्व हिन्दू परिषद व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी भी रह चुके हैं. राजा भैया ने लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून, मिलिट्री साइंस व भारतीय मध्यकालीन इतिहास में स्नातक भी किया. राजा भैया साइकिल चलाने से लेकर हवाई जहाज तक उड़ा सकते हैं. बुलेट की सवारी भी राज भैया को बहुत पसंद हैं.


राजा भैया की शादी बस्ती रियासत की राजकुमारी भान्वी देवी से हुई थी और राजा भैया के दो पुत्र व दो पुत्री हैं. प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा के लोगा राजा भैया पर बहुत विश्वास करते हैं. किसी भी पार्टी की लहर हो, चुनाव तो राजा भैया ही जीतते हैं. राजा भैया ने हमेशा ही निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत कर यह साबित किया है कि राजनीति के मंच पर भी उनका डंका बजता है.


राजा भैया का नाम 2013 में सीओ जिया उल हक हत्याकांड में आया था इसके चलते उन्हें जेल मंत्री की कुर्सी तक छोडऩी पड़ी थी. इस मामले को लेकर प्रदेश में खूब राजनीति हुई थी. बाद में सीबीआई ने राजा भैया को क्लीट चिट दे दी था. इसके बाद उन्हें खाद्य, रसद एवं आपूर्ति मंत्री बनाया गया. राजा भैया ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव उनके राजनीतिक गुरु हैं और राजनाथ सिंह उनके रिश्तेदार हैं. राजा भैया को सपा का समर्थन है तो भाजपा से भी उनके अच्छे रिश्ते हैं. राजा भैया का स्वभाव बहुत गंभीर है और बिना बात वह बयान भी नहीं देते हैं.