लखनऊ: आख़िर लोकसभा चुनाव क्यों हारे? ये जानने के लिए राहुल गांधी ने अमेठी जाने का फैसला किया है. 10 जुलाई को वे दिन भर वहीं रहेंगे. कांग्रेस के छोटे बड़े कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात करेंगे. उनके बीच बैठ कर दाल रोटी खायेंगे. सबके मन की बात सुनेंगे लेकिन अपनी नहीं सुनायेंगे. चुनावी हार के बाद कार्यकर्ताओं से राहुल गांधी का संवाद इकतरफ़ा होगा. हार के कारणों को जानने के लिए राहुल ने इस बार मौन रहने का मन बनाया है. इस बार वे बीजेपी की स्मृति ईरानी से अमेठी का चुनाव हार गए. वो भी कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए. जिस सीट से उनकी मां सोनिया और पिता राजीव गांधी एमपी हुआ करते थे, राहुल उसे बचा नहीं पाए.
ग़नीमत रही कि इस बार वे दो जगहों से चुनाव लड़े. अमेठी तो हारे लेकिन वायनाड से चुनाव जीत गए. वरना वे इस बार संसद से बाहर होते. राहुल की हार इसलिए बड़ी थी क्योंकि वे कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे. चुनाव हारने के बाद से ही राहुल गांधी ने अमेठी का मुँह तक नहीं देखा था. 23 मई को नतीजे आने के बाद से ही उन्होंने वहां के लोगों का हाल चाल तक नहीं लिया. अमेठी में कांग्रेस के लोग गहरे सदमे में हैं. किसी ने भी राहुल के हार की कल्पना तक नहीं की थी.
बीएसपी और एसपी गठबंधन ने यहाँ कांग्रेस के ख़िलाफ़ उम्मीदवार तक नहीं दिया था. प्रियंका गांधी ने अपने भाई के लिए जम कर चुनाव प्रचार भी किया था. लेकिन राहुल कांग्रेस के इस गढ़ को मोदी लहर से बचा नहीं पाए. ऐसा क्यों हुआ ? यही जानने समझने के लिए राहुल ने कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई है. दिल्ली से लखनऊ पहुँचने के बाद राहुल गांधी सीधे अमेठी पहुँचेंगे.
गौरीगंज के निर्मला देवी डिग्री कॉलेज में वे कांग्रेस के नेताओं से संवाद करेंगे. तीन अलग अलग बैठकें बुलाई गई हैं. सबसे पहले वे ग्राम सभा, न्याय पंचायत और ब्लॉक अध्यक्षों से मिलेंगे. ज़िला कांग्रेस कमेटी के नेताओं से राहुल अलग मीटिंग करेंगे. एक बैठक उन्होंने ग्राम प्रधानों और ज़िला पंचायत के सदस्यों की भी बुलाई है
मीटिंग ख़त्म होने के बाद वे सभी नेताओं के साथ भोजन भी करेंगे. कार्यकर्ताओं के साथ लंच करने का मक़सद उनका मनोबल बढ़ाना है. अमेठी के दौरे में राहुल उन नेताओं के घर भी जायेंगे, जिनका निधन हाल में हुआ है. चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रियंका और सोनिया गांधी ने रायबरेली का दौरा किया था.
इस दौरान कांग्रेस महासचिव ने पार्टी नेताओं की मीटिंग भी बुलाई थी. जिसमें हार के कारणों पर चर्चा हुई थी. अमेठी में पार्टी के ज़िलाध्यक्ष योगेश मिश्र को उन्होंने ख़ास तौर से बुलाया था. प्रियंका ने उन्हें ख़ूब खरी खोटी सुनाई थी. कहा जा रहा है कि उनसे इस्तीफ़ा भी ले लिया गया है.
राहुल गांधी जब अमेठी के एमपी थे तो चंद्रकांत दूबे उनके सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे. राहुल के चुनाव हारने के बाद से ही दूबे अमेठी से ग़ायब हैं. उन्हें भोपाल से ख़ास तौर से बुलाया गया था. राहुल के एक क़रीबी नेता ने बताया कि दूबे अब अमेठी नहीं बुलाये जायेंगे.
कहा जा रहा है कि राहुल ने अमेठी में संगठन में भारी फेर बदल करने का मूड बनाया है. चुनाव जीतने के बाद केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी दो बार अमेठी का दौरा कर चुकी हैं. कांग्रेस के गढ़ अमेठी को फिर से अपने पास लाना राहुल के लिए बहुत बड़ी चुनौती है.