नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर किसानों के ऋण माफ करने की मांग की और साथ ही उनके बिजली बिलों को भी आधा करने का आग्रह किया. लेकिन संसद में नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस का साथ देने वाले अन्य विपक्षी दलों ने राहुल के इस कदम पर नाराजगी जाहिर की है. प्रधानमंत्री को सौंपे गए एक एक ज्ञापन में राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने सरकार से फसलों के लिए अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग की.
नोटबंदी तथा अन्य मुद्दों पर संसद में कांग्रेस का साथ देने वाली अन्य विपक्षी पार्टियां राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने के फैसले से नाराज हो गईं. इससे पहले राहुल ने मोदी पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था और उन्हें बेनकाब करने की धमकी दी थी.
PM से अकेले मिलने जाने के कांग्रेस के फैसले से लोग नाराज
समाजवादी पार्टी (एसपी) के राज्यसभा सदस्य अमर सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री से अकेले मिलने जाने के कांग्रेस के फैसले से लोग नाराज हैं. वे (कांग्रेस नेतृत्व) सोचते हैं कि कांग्रेस एक महासागर है और हम सबको उसमें डूब जाना चाहिए. यह स्वाभाविक अक्खड़पन है, जो उनके लिए ठीक नहीं है."
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता डी.पी.त्रिपाठी ने कहा कि प्रधानमंत्री से मुलाकात करने के बजाय कांग्रेस को विपक्ष को मजबूत करना चाहिए था. उन्होंने कहा, "कांग्रेस मुद्दों के कारणों पर कुछ नहीं कर रही. यही कारण है कि हमने उनके साथ राष्ट्रपति से मिलने जाने का फैसला नहीं किया."
कॉरपोरेट घरानों के कर्ज माफ
राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने किसानों की आत्महत्या का मुद्दा उठाते हुए मोदी से कहा कि किसानों को दिए गए कर्ज भी उसी तरह माफ कर दिए जाएं, जिस तरह कॉरपोरेट घरानों के कर्ज माफ किए गए हैं.
राहुल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, "देशभर में किसान आत्महत्या कर रहे हैं. पंजाब में हर दिन एक किसान आत्महत्या कर रहा है. हमने प्रधानमंत्री से मिलकर उन्हें देशभर के किसानों की दुर्दशा से अवगत कराया." कांग्रेस ने बैठक में घर-घर जाकर एकत्र किए गए पंजाब से 30 लाख और उत्तर प्रदेश से दो करोड़ मांगपत्र भी सौंपे.
राहुल ने कहा, "केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट जगत के 1.40 लाख करोड़ रुपये के ऋण माफ किए हैं. हमने उनसे किसानों के ऋण भी माफ करने की अपील की." पार्टी उपाध्यक्ष के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से मिलने वाले कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह और अन्य नेता शामिल थे.
सरकार का फैसला किसानों के लिए 'बड़ा झटका'
राहुल ने यह भी कहा कि गेहूं के आयात को शुल्क मुक्त करने का सरकार का फैसला किसानों के लिए 'बड़ा झटका' है. कांग्रेस उपाध्यक्ष के अनुसार, "प्रधानमंत्री ने भी किसानों की दुर्दशा की बात स्वीकार की, लेकिन उन्होंने किसानों के ऋण माफ करने के बारे में एक शब्द नहीं कहा."
ज्ञापन में कहा गया, "हम कृषि संकट और पिछले दो साल से अधिक समय से नुकसान झेल रहे भारतीय किसानों की दुर्दशा की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने को विवश हुए हैं." ज्ञापन में कहा गया, "भारतीय कृषि गंभीर रूप से दो लगातार पड़े सूखे, बेमौसम बारिश और बाढ़ की वजह से प्रभावित रही है, जिससे देश के 33 करोड़ से अधिक लोगों प्रभावित किया है."
ज्ञापन में कहा गया है कि लाखों हेक्टेयर खड़ी फसल बर्बाद हुई और कृषि पर निर्भर लाखों किसानों ने अपनी आजीविका को खो दिया था. यह संकट किसानों के उच्च ऋणग्रस्तता के कारण और बढ़ गया है.
बढ़ता ब्याज किसानों की बड़ी संख्या में आत्महत्या करने का कारण
विज्ञप्ति के अनुसार, फसल की बर्बादी और अपने कर्ज को चुकाने के लिए अक्षमता और उस पर बढ़ता ब्याज किसानों की बड़ी संख्या में आत्महत्या करने का कारण रहा है. राहुल ने कहा, "हमारी पहली मांग किसानों का ऋण माफ करने की थी, जैसा पूर्व में यूपीए सरकार कर चुकी है."
मोदी से मिलने वाले अन्य कांग्रेस नेताओं में आनंद शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सत्यव्रत चतुर्वेदी, दीपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर, प्रमोद तिवारी, रजनी पाटिल, रवनीत सिंह बिट्टू और पी.एल. पुनिया भी शामिल थे.
मोदी से मुलाकात से पहले राहुल प्रधानमंत्री पर 'भ्रष्टाचार में व्यक्तिगत तौर पर शामिल होने' का आरोप लगा चुके हैं. भ्रष्टाचार का मामला उस समय का है, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.