गोरखपुर: भारतीय रेल की लेट लतीफी तो जग जाहिर है. लेकिन, ये ऐसा मामला है जिससे रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी भी हैरान और परेशान हैं. दरअसल मालगाड़ी के एक वैगन को विशाखापट्टनम से बस्‍ती पहुंचने में चार साल लग गए. जबकि 1,326 किलोमीटर की दूरी रेल मार्ग से तय करने में 42 घंटे 13 मिनट का समय ही लगता है.

किसी व्‍यापारी द्वारा बुक कराया गया खाद का वैगन चार साल बाद विशाखापट्टनम से बस्‍ती रेलवे स्‍टेशन पर पहुंचा है. इस मामले ने लेट लतीफी के सारे रिकार्ड ध्‍वस्‍त कर दिए हैं. चार साल बाद बस्‍ती रेलवे स्‍टेशन पर पहुंचे इस वैगन की वजह से अधिकारी भी परेशान हैं.

साल 2014 में खाद लेकर विशाखापट्टनम से चला वैगन 4 साल बाद बस्ती पहुंचा. वैगन के यहां पहुंचते ही अधिकारी व कर्मचारी आश्चर्य में पड़ गए. संबंधित को सूचना दी गई तो हड़कंप मच गया. इस ट्रेन के वैगन में जो खाद लदी है, उसके संबंध में बताया जा रहा है कि 50 फीसदी खाद प्रयोग लायक नहीं है. इस चूक का खामियाजा कौन भुगतेगा, ये तय करना भी अफसरों के लिए चुनौती बन गया है.



बताया जा रहा है कि भटका वैगन (एसई 107462) बस्ती स्टेशन पहुंचा तो माल गोदाम के इंचार्ज को सूचना दी गई. जांच-पड़ताल शुरू हुई तो पता चला कि इस खाद को कोई क्लेम करने वाला ही नहीं है. ये वैगन 2014 में बस्ती के लिए बुक किया गया था. लेकिन, तब से अब तक ये वैगन कहां रह गया था, ये किसी को पता नहीं है.

वैगन में 1316 डीएपी खाद की बोरियां मिली हैं, जिसमें से ज्‍यादातर जम गई है. कुछ बोरियां फट भी गईं हैं. अक्‍सर ऐसा होता है कि माल जिस स्‍टेशन पर उतरना होता है, वहां नहीं उतरने पर वो वापस चला जाता है. लेकिन, ये मामला आश्‍चर्य में डालने वाला है. विशाखापटनम से बस्ती स्टेशन की रेल मार्ग से दूरी 1,326 किलोमीटर है. जहां पहुंचने में कुल 42 घंटे 13 मिनट का समय लगता है. लेकिन, इस वैगन ने बुक कराए गए स्‍टेशन पर पहुंचने के सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं.



इस लेटलतीफी के बारे में गोरखपुर स्थित पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव का कहना है कि कभी-कभी कोई बोगी या वैगन जब सिक हो जाता है तो उसे ट्रेन से काटकर अलग कर दिया जाता है. उसे यार्ड में भेज दिया जाता है. इस खाद के वैगन के साथ भी यही हुआ होगा. फिलहाल अब इसके मालिक की खोज की जा रही है और यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर इसे यहां पहुंचने में इतना वक्त क्यों लगा.