जयपुर: आज राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के चुनाव परिणाम घोषित किये जायेंगे. आज आने वाले चुनाव परिणामों के बाद तय होगा की राज्य में वसुंधरा राजे का राज कायम रहता है, या फिर हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन करने वाला राजस्थान इस बार भी अपनी इसी रीत को कायम रखता है. लगभग सभी एग्जिट पोल के नतीजों में वसुंधरा राजे को सत्ता से बाहर जाता हुआ बताया गया था. लेकिन आज आने वाले एग्जेक्ट रिजल्ट से परिणाम पूरी तरह साफ हो जायेंगे.


देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित राजस्थान का अपना एक गौरवमई और प्रभावशाली इतिहास रहा है. बीते वक्त में राजस्थान पर मूलतः राजपूत शासकों का राज रहा था. ब्रिटिश शासन के वक्त राजस्थान को 'राजपूताना' के नाम से भी जाना जाता था. राजस्थान का मतलब भी 'राजाओं का स्थान' होता है. इस जगह पर लंबे वक्त तक राजपूत राजाओं का राज रहा था तो इस कारण इस जगह राजस्थान कहा गया. देश की आजदी से बाद 30 मार्च 1949 को तत्कालीन राजपूताना रियासतों विलय कर वर्तमान राजस्थान का गठन किया गया.


आजादी के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कद्दावर नेता हीरालाल शास्त्री सूबे के पहले मुख्यमंत्री बने. उसके बाद से लगभग राज्य में मुख्य तौर पर 1993 तक कांग्रेस की सरकार रही. लेकिन उसके बाद से जो सरकारों की अदला-बदली की शुरुआत हुई वो आज तक जारी है. अब देखना दिलचस्प होगा की राजस्थान अपनी इस रीत को कायम रखता है या फिर वसुंधरा इस मिथक को तोड़ देती हैं. आज हम आपको राजस्थान चुनाव से जुड़ी ऐसी ही कुछ खास बातें बताते हैं.


200 सदस्यों वाली राजस्थान में विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 100+1 का आंकड़ा पार करना होता है.


इस वक्त तक राज्य की कमान वसुंधरा राजे के हाथ में है. वसुंधरा दो बार राजस्थान की सत्ता संभाल चुकी हैं.


200 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में इस बार 2,274 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है.


इस बार के चुनाव में लगभग 73.62 फीसदी लोगों ने मतदान किया जो कि पिछली बार के मुकाबले लगभग 2 फीसदी कम था.


राजस्थान में कुल 477,89,815 मतदाता थे. जिनमें से 248,36,699 पुरुष और 227, 17, 518 महिला वोटर्स थी.


राजस्थान का रण जीतने के लिए पीएम मोदी ने 13, राहुल गांधी ने 24, अमित शाह ने 21 और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 24 रैलियां की थी

राजस्थान चुनाव में नेताओं ने दूसरे पर खूब तीखे निजी हमले भी किये. बीजेपी ने राहुल गांधी से उनके गोत्र को लेकर सवाल पूछा. जिसके जवाब में अजमेर की एक रैली में कांग्रेस अध्यक्ष ने खुद को "दत्तात्रेय" गोत्र का बताया. राजस्थान कांग्रेस के एक नेता प्रधान मंत्री मोदी पर उनके पिता के नाम को लेकर हमला बोला था. उन्होंने कहा था "प्रधान मंत्री बनने से पहले उन्हें कौन जानता था? आज भी कौन उनके पिता का नाम को जानता है? हर कोई राहुल गांधी के पिता, राजीव गांधी को जानता है. हर कोई राजीव गांधी की मां का इंदिरा गांधी को जानता है. हर कोई इंदिरा गांधी के पिता, पंडित जवाहरलाल नेहरू को जानता है और हर कोई पंडित जवाहर लाल नेहरू के पिता, मोतीलाल नेहरू को जानता है. हर कोई गाधी परिवार पांच पीढ़ियों से जानता है. लेकिन नरेंद्र मोदी के पिता का नाम कोई नहीं जानता."


वहीं कांग्रेस के कद्दावर नेता सीपी जोशी ने भी विवादित बयान देते हुए कहा था. "उमा भारती लोधी हैं, और वह हिंदू धर्म के बारे में बात करती है, मोदी जी हिंदू धर्म के बारे में बात करते हैं. लेकिन ये केवल ब्राह्मण हैं जो इसके बारे में बात नहीं करते हैं. 50 सालों से वे पूरी तरह से अपने दिमाग से बाहर हो गए हैं." हालांकि बाद में उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी थी. कांग्रेस नेता बीडी कल्ला ने 'भारत माता की जय' चिल्लाते हुए एक आदमी को रोक कर उसे 'सोनिया गांधी की जय' कहने के लिए कहा था. जिसके बाद भी काफी विवाद हो गया था.


विवादित बयानों की फेहरिस्त में बीजेपी भी पीछे नहीं है. राजस्थान में सोजत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही बीजेपी उम्मीदवार शोभा चौहान का एक वीडियो खूब वायरल हुआ था. जिसमें वो लोगों से कह रहीं थी कि अगर वो सत्ता में आती हैं तो वो ये तय करेंगी कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में पुलिस किसी भी बाल विवाह को नहीं रुकवाये.


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अलवर में मलाखेड़ा में अपनी रैली में "बजरंग बली को एक जनजातीय, वनवासी, दलित और वंचित बता दिया था. उन्होंने साथ ही कहा था कि उन्होंने सभी भारतीय समुदायों को उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक जोड़ने के लिए काम किया था. इस बयान के बाद उनकी काफी आलोचना की गई थी. एक अन्य रैली में योगी आदित्यनाथ ने आतंकवाद, मफिया और माओवाद को कांग्रेस का अवैध बच्चा बता दिया था.