जयपुर: कोटा में कोरोना संक्रमण के बीच प्रशासन का अमानवीय पहलू सामने आया है, जिसमें एक बेटा करीब सवा दो किलोमीटर तक अपने पिता को ठेले पर रखकर भागता रहा, कई बार बेरिकेटिंग सामने आई तो कभी पिता को संभालता, तो कभी बेरिकेटिंग को हटाता, इस दौरान पुलिसकर्मी भी उसे मिले. लेकिन किसी ने उसकी कोई मदद नहीं की.
अमानवीयता की पराकाष्ठा तो तब हुई जब एमबीएस पहुंचने के बाद चिकित्सकों ने कभी 125 कमरे से 104 और वहां के चिकित्सकों ने 125 नम्बर कमरा और वहां से फिर 104 ओपीडी में भेजा जहां उनकी ईसीजी करने के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया. दरअसल रामपुरा फतेहगढ़ी, हनुमान मंदिर के पास के निवासी उनके रिश्तेदार सतीश अग्रवाल बाथरूम जाते समय दमे के कारण अचेत होकर गिर गए. तभी उनकी पत्नी गायत्री व बेटे मनीष अग्रवाल ने 108 एम्बुलेंस को फोन किया लेकिन डेढ घंटे तक एम्बुलेंस के नहीं आने से उन्होंने पिता को उठाया और ठेले पर ही डालकर एमबीएस अस्पताल की और निकल गए.
इस दौरान पिता को ठेले पर लेटाने के बाद बेटा ठेले को लेकर भागता रहा, कभी बेरीकेटिंग आती तो कभी कोई रास्ते में पूछता लेकिन किसी ने उसकी कोई मदद नहीं की. इस दौरान कई बार पुलिसकर्मी उसे मिले. उनसे भी उन्होंने आग्रह किया लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं मिला. आखिर जैसे तैसे बेटा नयापुरा तक सवा दो किलोमीटर के करीब ठेले को लेकर भागता हुआ पहुंचा जहां उनके रिश्तेदारों ने एम्बुलेंस मंगाई और वहां से उसे एमबीएस चिकित्सालय लेकर गए.
अस्पताल पहुंचने तक पिता की सांसे चल रही थी लेकिन अस्पताल में भी उसे एक कमरे से दूसरे कमरे में चक्कर कटवाए गए. डॉक्टर्स तक देरी से पहुंचने पर उनकी आखिर कार मौत हो गई. संवेदनशील सरकार के असंवेदनशील अधिकारियों व अव्यवस्थाओं से एक बेटे ने अपने पिता तो एक पत्नी ने अपने पति को खो दिया. पहले ही आर्थिक स्थिति का बोझ उपर से इस तहर की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया.
एमबीएस में भी पिता को लेकर भटकता रहा बेटा
एम्बुलेंस से जैसे ही मरीज को लेकर कमरा नम्बर 125 में लेकर गए तो वहां से ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों ने उन्हें कर्फ्यूग्रस्त व हॉट स्पॉट क्षेत्र का होने के चलते ओपीडी 104 नम्बर कमरे में भेज दिया. वहां से उन्हें फिर 125 नम्बर कमरे में भेज दिया गया. उसके बाद परिजनों ने मिन्नत की लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी और उन्हें फिर से 104 में भेज दिया गया. वहां चिकित्सकों ने मरीज सतीश अग्रवाल की ईसीजी कराई, चिकित्सकों ने ईसीजी देखकर उन्हें मृत घोषित कर दिया. हॉट स्पॉट क्षेत्र निवासी होने से उनके शव का कोविड-19 सेंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया है और शव को न्यू मेडिकल कॉलेज के शव गृह में रखवा दिया गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा.
इस पूरे मामले पर एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक नवीन सक्सेना ने कहा कि अगर मरीज को परेशान किया जा रहा है तो गलत है, एक शिकायत आई है, उसकी जांच की जा रही है, अगर सही पाई गई तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
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