भीलवाड़ा: कोरोना महामारी से बचाव का उपाय सोशल डिस्टेंसिंग है. मतलब साफ़ है कि दूरी बनाकर ही संक्रमण से बचा जा सकता है. इसके लिए राजस्थान सरकार ने नियम भी बनाया है कि शादी और दूसरे सामाजिक आयोजन से पहले जिला कलेक्टर से अनुमति लेनी होगी और किसी भी शादी समारोह में पचास से ज़्यादा लोग शामिल नहीं होंगे.


लेकिन राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में 13 जून को हुई एक शादी में इस नियम और सोशल डिस्टेंसिंग की खुलकर धज्जियां उड़ाई गईं. जब मामला जिला प्रशासन की जानकारी में आया तो जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने वो सख़्त कार्रवाई की जो कोरोना के मामले में अब तक शायद ही कहीं देखी गई हो.


भीलवाड़ा के भदादा मोहल्ले के घीसू लाल राठी ने 13 जून को अपने बेटे रिजुल की शादी का समारोह आयोजित किया था. शादी के लिए जिला प्रशासन ने अनुमति दी. लेकिन कोरोना के चलते सभी इंतज़ाम के साथ सिर्फ़ पचास लोगों को शामिल करने की इजाजत दी.


राठी परिवार की इस शादी में निर्धारित संख्या से काफ़ी ज़्यादा लोगों ने हिस्सा लिया और इसका नतीजा ये हुआ कि काफी लोग कोरोना संक्रमित हो गए. शादी में न तो लोगों ने मास्क पहना और न ही एक दूसरे से उचित दूरी बनाकर रखी. संक्रमित लोगों को फ़ौरन क्वॉरन्टीन किया गया लेकिन इस दौरान शादी में संक्रमित हुए एक शख़्स की मौत हो गई.


सरकारी आदेश की इस तरह खुलेआम अवहेलना और लापरवाही उजागर होने के बाद जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने सभी संक्रमित लोगों के इलाज, क्वॉरन्टीन और अन्य सभी खर्चे आयोजक यानि घीसू लाल राठी से वसूलने का आदेश निकाल दिया.


अब इस आदेश के बाद घीसू लाल राठी को क़रीब छह लाख छब्बीस हज़ार छह सौ रुपये सरकारी खजाने में जमा करवाने होंगे. जिला कलेक्टर ने इस पैसे की वसूली की जिम्मेदारी तहसीलदार को दी है कि वो तीन दिन के भीतर घीसू लाल राठी से ये रक़म वसूल कर सरकारी कोश में जमा करवाए.


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