वाराणसी: उत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की सोमवार तड़के बागपत जिला जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई. कई जघन्य वारदातों को अंजाम देने वाले मुन्ना ने वाराणसी में पहली बार एके 47 चलवाई थी. उसकी 18 गोलियां खाकर राजेंद्र त्रिवेदी आज भी जिंदा हैं.


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6 अप्रैल, 1997 को नरिया में मुन्ना बजरंगी ने एके 47 से ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष रामप्रकाश पांडेय, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील राय, भोनू मल्लाह समेत चार लोगों की हत्या कर दी थी. सभी लोग मारुति कार से बीएचयू अस्पताल में भर्ती पूर्व विधायक सत्यप्रकाश सोनकर को देखकर लौट रहे थे, तभी नरिया स्थित जैन लॉज के पास पांच-छह की संख्या में आए हमलावरों ने तकरीबन डेढ़ सौ गोलियां बरसाई थीं.


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आचार्य राजेंद्र त्रिवेदी को घटना में 18 गोलियां लगी थीं
इस हत्याकांड के चश्मदीद गवाह और सुनील राय के संग गाड़ी में बैठे आचार्य राजेंद्र त्रिवेदी को भी उस घटना में 18 गोलियां लगी थीं. एक महीने तक राजेंद्र त्रिवेदी का इलाज वाराणसी के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में हुआ, जहां उन्होंने जिंदगी और मौत से जंग लड़ते हुए खुद को अदम्य साहस के बल पर बचा लिया था.


राजेंद्र त्रिवेदी ने कहा- भगवान ने दंड दिया है
राजेंद्र त्रिवेदी ने उस दिन की घटना को याद करते हुए विस्तार से बताया और कहा कि जो लोग इस तरह निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या में शामिल थे, उन्हें भगवान ने दंड दे दिया है.


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गैंगस्टर सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी को 10 गोलियां मारीं
बता दें कि गैंगस्टर सुनील राठी ने कुख्यात माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी को 10 गोलियां मारीं जिनमें से अधिकतर सिर में मारी गईं. मुन्ना बजरंगी की मौके पर ही मौत हो गई.


सोमवार सुबह करीब 6 बजे ये घटना हुई जिसने पुलिस प्रशासन के होश उड़ा दिए. सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर जेल के भीतर हथियार कहां से आया? जब दोनों के बीच कोई दुश्मनी का रिकॉर्ड नहीं है तो फिर क्यों राठी ने बजरंगी को मार दिया?