लखनऊ: राजेश जोशी और हसन कमाल को कैफी आज़मी अवार्ड मिलेगा. कमाल हिंदी फ़िल्मों के जाने माने गीतकार रहे हैं तो एक अच्छे कवि के तौर पर जोशी की अपनी पहचान रही है. यूपी के राज्यपाल राम नाईक 10 मई को लखनऊ में कैफी आज़मी अकादमी में दोनों को ये सम्मान देंगे.


अकादमी की मुख्य संरक्षक शबाना आज़मी की सहमति के बाद हसन कमाल और राजेश जोशी के नाम तय हुए हैं.


दिल के अरमान आँसुओं में बह गए, हुज़ूर आते-आते बहुत देर कर दी, दिल की ये आरज़ू थी कोई..... जैसे कई यादगार फ़िल्मी गीत देने वाले हसन कमाल का जन्म लखनऊ में ही हुआ. यहीं वे पढ़े- लिखे. एक पत्रकार के तौर पर कैरियर की शुरूआत की. फिर मुंबई चले गए.


हसन कमाल ने निकाह, मज़दूर, आज की आवाज़, तवायफ़, बँटवारा जैसी फ़िल्मों के गीत लिखे. उन्हें फ़िल्मफ़ेयर और हिंदी उर्दू साहित्य के लिए साहित्य एकेडमी अवार्ड भी मिल चुका है.


जो सच सच बोलेंगे मारे जायेंगे, जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे मारे जायेंगे.... ये कविता राजेश जोशी की है. जोशी की कवितायें संघर्ष की गाथा रही हैं. मध्य प्रदेश में उनका जन्म हुआ. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद जोशी ने पिछले साल साहित्य एकेडमी अवार्ड लौटा दिया था.


एक दिन बोलेंगे पेड़, दो पंक्तियों के बीच और मिट्टी का चेहरा जैसी कविता संग्रह उन्होंने लिखीं. राजेश जोशी ने कहानी लिखने में भी हाथ आज़माये. उनके एक कहानी संग्रह का नाम हैं - कपिल का पेड़.