नई दिल्ली: बिहार में दिमागी बुखार से करीब 155 बच्चों की मौत का मुद्दा शुक्रवार को राज्यसभा में उठा और सदस्यों ने केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप करने और पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की. उच्च सदन में शून्यकाल में सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया. सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस घटना पर शोक जताते हुए कहा कि सदन उन बच्चों को श्रद्धांजलि देता है. इसके बाद सदस्यों ने अपने स्थानों पर कुछ क्षणों का मौन रखकर दिवंगत बच्चों को श्रद्धांजलि दी.
नायडू ने कहा कि बिहार में बच्चों की मौत के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिए गए कार्य स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया और यह विषय शून्यकाल में उठाने की अनुमति दी. भाकपा के विनय विश्वम ने कहा कि सरकार इसे दुर्घटना बता रही है लेकिन इसे गरीब बच्चों की हत्या कहा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ''आधिकारिक तौर पर 130 बच्चों की मौत हो चुकी है और अस्पतालों में न तो कोई दवाई है और न ही इस रोग के इलाज के लिए जरूरी सुविधाएं हैं.'' उन्होंने कहा कि ''बच्चे कुपोषण के शिकार हैं और हर साल देश में करीब 24 लाख बच्चों की कुपोषण के कारण मौत हो जाती है.''
विश्वम ने सरकार से अनुरोध किया कि वह स्थिति में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए और प्रभावित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा प्रदान करे. कांग्रेस सहित विपक्ष के कई सदस्य इस विषय पर चर्चा की मांग कर रहे थे लेकिन आसन ने इसकी अनुमति नहीं दी. इससे पहले नायडू ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस होने का भी जिक्र किया. इस क्रम में उन्होंने योग के महत्व का भी जिक्र किया.
शून्यकाल में नायडू ने न्यूजीलैंड और कोलंबो में पिछले दिनों हुए आतंकवादी हमलों का भी जिक्र किया. सदस्यों ने बिहार में बच्चों और कोलंबो में बम विस्फोटों की घटनाओं में मारे गए लोगों की याद में अपने स्थानों पर खडे होकर कुछ क्षणों का मौन रखा और उन्हें श्रद्धांजलि दी.
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