नई दिल्ली: अखिलेश यादव ने पिता मुलायम को हराकर समाजवादी पार्टी और साइकिल चुनाव चिन्ह पर कब्जा कर लिया है. मुलायम सिम्बल की लड़ाई हार गये हैं. अब अखिलेश का मतलब ही समाजवादी पार्टी है. एक जनवरी को अखिलेश को अध्यक्ष बनाने के बाद झगड़ा चुनाव आयोग पहुंच गया था. ‘साइकिल’ चुनाव निशान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मिल गया.


फैसले के बाद चुनाव आयोग में अखिलेश की लड़ाई लड़ रहे उनके चाचा रामगोपाल यादव ने एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लुसिव बातचीत की. रामगोपाल यादव ने ने कहा, ''मैं चुनाव आयोग को बधाई देना चाहूंगा. आयोग ने बहुत सही और न्यायसंगत फैसला दिया है. देश में जहां भी समाजवादी पार्टी है सभी अखिलेश के पक्ष में हैं. इससे साफ हो गया है कि अखिलेश एक बार फिर सीएम बनेंगे.''


कांग्रेस के साथ गठबंधन पर रामगोपाल यादव ने कहा, ''उम्मीद है.''


मुलायम सिंह को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ''जब तक चुनाव हैं तब तक मुलायम सिंह के बारे में कुछ नहीं बोलूंगा. हमारे बीच फूट थी इसीलिए चुनाव आयोग में दो गुट बैठे थे. नेता जी को इस वजह से कुछ समझ नहीं आया क्योंकि कुछ ऐसे लोग उनके साथ हैं जो पार्टी को बर्बाद करना चाहते हैं. मेरी मुख्यमंत्री से बात हुई है, वे बहुत खुश हैं.''


कैसे हुआ फैसला
यूपी में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में चुनाव चिह्न विवाद पर चुनाव आयोग ने आज अंतरिम आदेश पारित कर दिया है. अखिलेश यादव को पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों मिल गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी की अगुवाई में आयोग ने शुक्रवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. आयोग आज आदेश पारित कर दिया है.


चुनाव आयोग ने 9 तारीख तक दोनों पक्ष से हलफनामे के जरिए ये बताने को कहा था कि किस पक्ष के पास कितने विधायकों का समर्थन है ? दोनों पक्षों के इन्हीं हलफनामों का अध्ययन करने के बाद चुनाव आयोग ने 50%+1 के आधार पर अखिलेश को पार्टी को साइकिल निशान दिया. अखिलेश यादव को इस बात की जानकारी दे दी गई है.


आपको बता दें दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुलायम सिंह से पूछा था कि क्या आपकी पार्टी में कोई टूट है तो मुलायम ने कहा था कि नहीं कोई टूट नहीं है. इस पर जब चुनाव आयोग ने पूछा था कि अगर कोई टूट नहीं है तो फिर साइकिल निशान किसे दिया जाए. इस पर मुलायम ने कहा था कि हमें दिया जाए. इसी बात पर चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों में फूट की बात मानी थी.