नई दिल्ली: राम जन्मभूमि विवाद पर रोज सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने जल्द सुनवाई की अर्जी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की अर्जी पर कहा कि अभी हमारे पास इस केस की जल्द सुनवाई करने का वक्त नहीं है. सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि विवाद पर आपसी सहमति से फैसला हो लेकिन आज मध्यस्थता के मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई है.



दरअसल ये मामला अदालत के सामने फिर से रखा जाना था. ये मामला सूचीबद्ध नहीं था. स्वामी जजों के बैठते ही कहा, ‘’मेरी मांग पर आप विचार करें.’’ लेकिन तबतक इस मामले के दूसरे पक्ष के वकीलों ने स्वामी की मांग पर एतराज जताते हुए कहा, ‘’स्वामी इस मामले के मूल पक्ष नहीं है.’’

सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी से पूछा- ‘’आप मूल पक्ष नहीं हैं तो आपने मांग क्यों की ?

स्वामी- ‘’मैं सिर्फ धार्मिक वजहों से ये मांग कर रहा हूं कि मामले को जल्द निपटाया जाए.’’  

सुप्रीम कोर्ट- ‘’ठीक है आप यह मांग कर रहे हैं लेकिन अभी हमारे पास इस मुद्दे की जल्द सुनवाई का वक्त नहीं है.’’

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की अर्जी खारिज नहीं किया है. स्वामी की अर्जी सुप्रीम कोर्ट नें लंबित रहेगी. फिलहाल भविष्य में इस मामले पर जल्द सुनवाई की तारीख के आसार कम ही नज़र आ रहे हैं. अब सुप्रीम कोर्ट नियमित प्रक्रिया के तहत ही इस मामले की सुनवाई करेगा.

सुनवाई के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा है, ''जो फैसले में देर करना चाहते थे वो सफल हुए. मैं अब दूसरा रास्ता निकालने की कोशिश करूंगा.''



एबीपी न्यूज़ ने विवाद से जुड़े पक्षकारों से जानना चाहा कि राम जन्मभूमि विवाद पर अब उनका क्या कहना है.


राम जन्मभूमि विवाद के मुख्य याचिकाकर्ता रहे हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को एक चिट्ठी लिखी थी.


स्वामी का इस केस से कोई लेना देना नहीं- इकबाल


अपनी इस चिट्ठी में इकबाल अंसारी ने सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से मामला उठाए जाने का विरोध किया था. उन्होंने लिखा था, ‘’सुब्रमण्यम स्वामी इस विवाद में पक्ष नहीं हैं. उन्होंने पक्षकारों को बगैर जानकारी दिए चीफ जस्टिस की बेंच में ये मामला रखा. उनका इस केस से कोई लेना देना नहीं है.’’



21 मार्च को ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी पक्ष आपसी सहमति से इस विवाद का हल निकालने की कोशिश करें और अगर सभी पक्ष सहमत हैं तो मध्यस्थता के लिए किसी जज की नियुक्ति की जा सकती है. लेकिन सवाल ये है कि क्या राम जन्मभूमि विवाद के सभी पक्षों में सहमति होगी ?


सबूतों के आधार पर होना चाहिए फैसला- इकबाल


एबीपी न्यूज़ ने इस विवाद से जुड़े सभी पक्षकारों की राय जाननी चाही. इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता हाशिम अंसारी थे जिनका पिछले साल जुलाई में 95 साल की उम्र में निधन हो गया था. अब उनके बेटे इकबाल अंसारी मुकदमे के पैरोकार हैं. इकबाल कहते हैं कि समझौते की बात तो ठीक है लेकिन सबूतों के आधार पर फैसला होना चाहिए, जबकि निर्मोही अखाड़े का कहना है कि समझौते में कई अड़चने हैं.



वहीं बाबरी मस्जिद के एक और पक्षकार हाजी महबूब अली अलग मस्जिद बनाने के फॉर्मूले को एक सिरे से खारिज कर रहे हैं, जबकि विराजमान रामलला के पक्ष का कहना है कि हिंदू पक्ष भगवान की जन्मभूमि को किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगा.


2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाद को सुलझाने के लिए एक बीच का रास्ता निकाला था, लेकिन उस फैसले के बाद भी स्थिति अभी 6 साल पहले वाली ही बनी हुई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था, राम मूर्ति वाला हिस्सा रामलला विराजमान को, राम चबूतरा और सीता रसोई का हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया था.