नई दिल्ली: आरक्षण पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर अब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने निशाना साधा है. तेजस्वी यादव ने कहा कि आरक्षण को लेकर आरएसएस और बीजेपी की मंशा ठीक नहीं है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच इस पर सौहार्द्रपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए.
तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, ''आरक्षण को लेकर RSS/BJP की मंशा ठीक नहीं है. बहस इस बात पर करिए कि इतने वर्षों बाद भी केंद्रीय नौकरियों में आरक्षित वर्गों के 80% पद ख़ाली क्यों है? उनका प्रतिनिधित्व सांकेतिक भी नहीं है. केंद्र में एक भी सचिव OBC/EBC क्यों नहीं है? कोई कुलपति SC/ST/OBC क्यों नहीं है? करिए बहस??''
अपने एक अन्य ट्वीट में तेजस्वी ने कहा, ''मोहन भागवत जी के बयान के बाद आपको यह साफ होना चाहिए कि क्यों हम आपको “संविधान बचाओ” और “बेरोज़गारी हटाओ,आरक्षण बढ़ाओ” के नारों के साथ आगाह कर रहे थे. 'सौहार्दपूर्ण माहौल' की नौटंकी में ये आपका आरक्षण छीन लेने की योजना में काफी आगे बढ़ चुके है. जागो,जगाओ और अधिकार बचाने की मशाल जलाओ.''
उधर बीजेपी की सहयोगी पार्टी एलजेपी ने साफ तौर पर कहा कि आरक्षण पर किसी तरह का कोई विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है. रामविलास पासवान ने ट्वीट किया, ''आरक्षण पर किसी तरह का कोई विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है. विपक्ष ने लोकसभा के चुनाव में भी आरक्षण को मुद्दा बनाने की कोशिश की थी लेकिन उसका परिणाम उल्टा निकला.''
रामविलास पासवान ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ''आरक्षण पहले अनुसूचित जाति, जन जाति और पिछड़ी जातियों के लिए ही था. अब नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने ऊँची जाति के गरीबों को भी आरक्षण देने का काम किया है. इसलिए आरक्षण पर अब कोई विवाद नहीं है और न ही इस पर विचार करने की कोई आवश्यकता है.''
आरएसएस की सफाई
संघ प्रमुख के ताजा बयान पर हो रही विवाद पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने सफाई दी. उन्होंने कहा, ''सरसंघचालक मोहन भागवत के दिल्ली में एक कार्यक्रम में दिये गये भाषण के एक भाग पर अनावश्यक विवाद खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है. समाज में सदभावना पूर्वक परस्पर बातचीत के आधार पर सब प्रश्नों के समाधान का महत्व बताते हुए उन्होंने आरक्षण जैसे संवेदनशील विषय पर विचार का आह्वान किया.'' आगे उन्होंने कहा, ''जहां तक संघ का आरक्षण के विषय पर मत है, वह अनेक बार स्पष्ट किया जा चुका है कि अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और आर्थिक आधार पर पिछड़ों के आरक्षण का पूर्ण समर्थन करता है.''