पटना: शिक्षक के बिना आदर्श समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है. व्यक्ति के जीवन में शिक्षक का खास महत्व होता है. शिक्षक को भगवान से बड़ा दर्जा मिला है. चाहे वह आम नागरिक हो, खिलाड़ी हो, अभिनेता हो या फिर नेता हो, किसी न किसी का कोई गुरू जरूर होता है. एलजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने साठ साल बाद अपने जीवन के सबसे पहले गुरू से मुलाकात की तो फूले नहीं समाए. अपने ट्वीटर पर उन्होंने तस्वीर शेयर की, जिसमें उनके चेहरे का भाव सबकुछ बयां कर रहा है.
रामविलास पासवान ने ट्वीट किया, ''आज अपने बचपन के सबसे पहले गुरू श्री कन्हैया लाल जी का 60 साल के बाद दर्शन का सौभाग्य मिला. गुरुजी ने हाथ पकड़कर मुझे बोर्ड पर चॉक से लिखना सिखाया था. बिहार के समस्तीपुर जिले के नरहर निवासी आदरणीय श्री कन्हैयालाल जी फिलहाल पटना साहिब में अपने परिवार के साथ रहते हैं.''
अपने एक दूसरे ट्वीट में रामविलास पासवान ने लिखा, ''मैंने आज उनके आवास पर जाकर गुरुदेव के दर्शन किए और उनका आशीर्वाद लिया. गुरुदेव भी इतने सालों बाद अपने शिष्य से मिलकर काफी खुश हुए. आज मैं अपने गुरुदेव का आशीर्वाद पाकर कितना खुश हूं, बता नहीं सकता. ईश्वर से कामना है कि गुरुदेव को स्वस्थ रखें और लंबी आयु दें.''
करीब डेढ़ घंटे तक अपने गुरु और उनके परिवारवालों से पासवान मिले. इस मुलाक़ात में उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद किया. पासवान ने बताया कि किस तरह वो नदी पारकर गुरु से पढ़ने के लिए जाया करते थे. उन्होंने कहा कि आज वो जो भी हैं अपने गुरु के बदौलत हैं. अपने गुरु से मिलते हुए रामविलास पासवान ने उन्हें अंगवस्त्र, चादर, मिठाई और पचास हज़ार रुपये देकर उन्हें सम्मानित किया. राम विलास ने बताया कि अपने किताब में भी उन्होंने अपने गुरु की चर्चा की है.
इससे पहले रविवार को पासवान ने कहा था कि उनके फुफेरे भाई ने उनके गुरु का मोबाइल नंबर दिया था. इसके बाद उन्होंने अपने गुरू से बात भी की. कल ही पासवान ने एलान किया था कि 12 अगस्त को अपने गुरू से मिलने जाएंगे.