पटना: लोकसभा चुनाव में अभी करीब एक साल बाकी हैं, लेकिन बिहार में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में जो खींचतान शुरू हुई है उससे बीजेपी मुश्किल में है. सहयोगी दल जिस तरह सीटें मांग रही हैं उससे ऐसा लगता है कि 22 सांसदों वाली पार्टी के पास सिर्फ 5 सीटें बच जाएंगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की तरफ से लोकसभा की 40 में से 25 सीटों मांगे जाने के बाद अब राम विलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी यानी एलजेपी ने 7 सीटों पर दावा ठोंका है. राम विलास पासवान इस समय मोदी सरकार में मंत्री हैं.
बीजेपी की एक दूसरी सहयोगी राष्ट्रीय लोकसभा समता पार्टी (आरएलएसपी) ने अब तक अपना दावा पेश नहीं किया है, लेकिन उसके पास तीन सांसद हैं और अगर वो तीन सीटों का दावा पेश करती है तो बीजेपी के पास सिर्फ 5 सीटें बच जाएंगी. जेडीयू 25, एलजेपी 7 और आरएलएसपी 3 सीटें, यानि कुल 35 सीटें होती हैं. अब सिर्फ 5 सीटें बाकी रह जाती हैं.
बीजेपी अकेले कुछ नहीं कर सकती- एलजेपी
एलजीपी प्रदेश अध्यक्ष और नीतीश सरकार में पशु पालन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने एबीपी न्यूज से कहा है कि अब साल 2014 वाली स्थिति नहीं है. साल 2019 में बीजेपी अकेले कुछ नहीं कर सकती, उसे सबको साथ लेकर ही चलना होगा.
अब बीजेपी को भी सोचना होगा- एलजेपी
पशुपति कुमार पारस ने कहा है, "लोकसभा में हम 40 में से 7 सीटों पर चुनाव लड़े थे और 6 पर जीते थे. हमारा सात सीटों पर दावा है. बिहार में नीतीश कुमार एनडीए के बड़े नेता हैं. नए समय और नई परिस्थिति में सीटों के तालमेल पर फिर से बात होनी चाहिए. दल और दिल मिल गया है तो बीजेपी को भी सोचना होगा.’’
गठबंधन में सीटों पर नया फॉर्मूला बनना चाहिए- चिराग पासवान
कल पासवान के बेटे चिराग पासवान ने भी मांग की थी कि 2019 के चुनाव के लिए गठबंधन में सीटों पर नया फॉर्मूला बनना चाहिए. अब हालात बदल चुके हैं. उन्होंने कहा था, ''2014 में एनडीए का समीकरण कुछ और था आज एनडीए में और भी दल आए हैं. ऐसे में आने वाले चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर सभी दल मिलबैठ कर विचार करेंगे. नए फॉर्मूले पर बात होगी.''
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