गोरखपुर: टेरर फंडिंग के मास्टर माइंड रमेश शाह के अपराध की फेहरिस्त छोटी नहीं है. एटीएस जैसे-जैसे पूछताछ आगे बढ़ा रही है, वैसे-वैसे परत-दर-परत रमेश के काले चिट्ठे सामने आ रहे हैं. टेरर फंडिंग के धंधे और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के पहले उसने ड्रग्स के धंधे में भी हाथ आजमाया. एक समय वो अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स माफिया विकी गोस्वामी का खास रहा है और नेपाल के रास्ते भारत में ड्रग्स के धंधे को फैलाने में जुटा था. लेकिन, नेपाल में पकड़े जाने के बाद वो जेल चला गया. उसी दौरान वो नेपाल की जेल में बंद पाकिस्तानी हैंडलर के टच में आया और भारत में रहकर टेरर फंडिंग जैसी देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होकर देश को खोखला और अपनी जड़ें मजबूत करने लगा.


इंटरनेशनल ड्रग्स माफियाओं में होती है रमेश शाह की गिनती
एटीएस सूत्रों की मानें तो टेरर फंडिंग के मामले में यूपी एटीएस के हत्थे चढ़े रमेश शाह की गिनती इंटरनेशनल ड्रग्स माफियाओं में होती है. वो 90 के ही दशक से ड्रग्स की स्मगलिंग में शामिल हो गया था. उसके बाद वो नेपाल के रास्ते पूरे देश में चरस और नशे की खेप सप्लाई करने लगा. साल 2003 में वो स्मगलिंग के मामले में नेपाल पुलिस के हत्थे चढ़ गया और काफी दिनों तक नेपाल के जेल में बंद रहा.


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रमेश ने टेरर फंडिंग के काफी रुपए मार्ट में लगाए हैं
पुलिस को रमेश शाह की कोर्ट से 7 दिन की रिमांड मिलने के बाद एटीएस उसे लेकर गोरखपुर आई थी. यहां पर एटीएस ने रमेश शाह के ठिकानों पर जाकर आस-पास के लोगों और उसके और किराए के मकान पर भी पूछताछ की और जानकारियां जुटाने के बाद उसे लेकर लखनऊ वापस चली गई. इस दौरान टीम रमेश के असुरन रोड पर सत्यम मार्ट पर लेकर भी गई थी. रमेश ने टेरर फंडिंग के काफी रुपए मार्ट में लगाए हैं. इसके अलावा एटीएस ने 2 लग्जरी गाड़ियां भी उसकी निशानदेही पर बरामद की हैं.


अपराध के दल-दल में धंसता चला गया रमेश शाह
एटीएस की पूछताछ में रमेश से जुड़े करीबियों ने बताया है कि नेपाल जेल में बंद रहने के दौरान ही वह कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में आ गया, जहां से बाहर निकलते ही उसने हवाला का कारोबार शुरू किया. इसके बाद वो अपराध के दल-दल में धंसता चला गया.


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नेपाल के रास्ते देश भर में सप्लाई करता था चरस की खेप
ड्रग्स स्मगलिंग के कारोबार में आने के बाद रमेश शाह इंटरनेशनल ड्रग्स माफिया विक्की गोस्वामी के गैंग से जुड़ गया. उसके बाद वो ड्रग्स का बड़ा तस्कर बन गया और भारत में अपने गुर्गों की मदद से ड्रग्स की बड़ी खेप सप्लाई करने लगा. विदेशों से आने वाली चरस की खेप वो नेपाल के रास्ते देश भर में सप्लाई करता था. नेपाल के अलावा गोरखपुर के कैंट थाने में उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के दो केस दर्ज हैं.

स्मगलिंग से लेकर हवाला तक था रमेश का काला कारोबार
स्मगलिंग के मामले में भारत से लेकर नेपाल तक वो कई बार पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है. वो पहले ही पुलिस का इतना टार्चर पहले ही झेल चुका है कि उससे अहम राज उगलवा पाना आसान नहीं होगा. स्मगलिंग से लेकर हवाला कारोबार तक रमेश ने खूब काली कमाई की. हालांकि दावा है कि वो स्मगलिंग से लेकर हवाला कारोबार का काम वर्ष 2014 के बाद कम करता चला गया.


रमेश शाह लगातार विदेशी हैंडलर के संपर्क में था
8 नवंबर 2016 को देश में हुई नोटबंदी के बाद से हवाला का कारोबार पूरी तरह से बंद हो गया. इसके बाद उसने अपनी कमाई की पूरी रकम से यहां असुरन चौक स्थित सत्यम मार्ट खोला और अपने ऐशो-आराम की जरूरतों को पूरी करता रहा. एटीएस का दावा है कि रमेश शाह लगातार विदेशी हैंडलर के संपर्क में था. उसके निर्देशों पर देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता रहा.


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शिकंजा कसने की तैयारी में एटीएस
अब देखना ये है कि कोर्ट रमेश और उसके साथ पकड़े गए लोगों को कितनी सख्त सजा देता है. क्योंकि रमेश और उसके साथ 5 राज्यों से एटीएस के हत्थे चढ़े 10 लोगों ने कई युवाओं को जुर्म के इस दलदल में बराबर का भागीदार बनाकर उनका भी करियर बर्बाद किया है. एटीएस पूछताछ के बाद ऐसे लोगों के ऊपर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है.