रामपुर: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई के घूंस कांड में जिस मोईन कुरैशी का नाम आ रहा है वो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रामपुर का रहने वाले हैं और देश के बड़े मीट कारोबारी हैं. रामपुर के ऊंची चौपाल मोहल्ले में मोईन कुरैशी का पुश्तैनी मकान है जो मुन्शी अब्दुल मजीद कि कोठी के नाम से मशहूर है. इस मोहल्ले का नाम मोईन कुरैशी के पिता मुन्शी अब्दुल मजीद के नाम पर पड़ा है. उनके नाम से यहां एक रोड है भी है जिसका नाम अल्हाज मुन्शी अब्दुल मजीद कुरैशी रोड है. इसके अलावा रामपुर में नैनीताल हाईवे पर मोईन कुरैशी कि एक मीट फैक्ट्री भी है. फिलहाल मोईन कुरैशी दिल्ली के छतरपुर में रहते हैं और देश के बड़े कारोबारियों में इनकी गिनती होती है. मोईन कुरैशी का कारोबार विदेशों तक फैला हुआ है.

रामपुर से शुरू किया था कुरैशी ने मीट का कारोबार

मोईन कुरैशी दून स्कूल और सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़े-लिखे हैं. बताया जाता है कि मोइन क़ुरैशी ने 1990 के दशक में उत्तर प्रदेश के रामपुर से अपना मीट कारोबार शुरू किया था. मोईन क़ुरैशी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कुछ सालों में ही दिल्ली के राजनितिक गलियारों और अफसरशाहों के बीच अपनी गहरी पैठ बना ली और फिर शुरू हुआ लेन-देन और फ़िक्सिंग का धंधा. मोईन कुरैशी का नाम सबसे पहले साल 2014 में उस वक़्त सुर्ख़ियों में आया जब आयकर विभाग ने उनके छतरपुर, रामपुर और दूसरी प्रॉपर्टीज़ पर छापे मारे गये थे. उसी वक़्त मोईन कुरैशी के सीबीआई डॉयरेक्टर से रिश्तों का खुलासा हुआ था.

कहा जाता है कि इन छापों के दौरान करोड़ों रुपये कैश ही नहीं मिले थे बल्कि मोईन कुरैशी और दूसरे अहम लोगों की बातचीत के टेप भी बरामद हुए थे जिस से मोईन कुरैशी के कथित हवाला के धंधों और लोगों से रिश्तों का खुलासा हुआ था. इसके बाद 2017 में प्रवर्तन निदेशालय ने मोइन क़ुरैशी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की तो उसमें सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर ए पी सिंह का नाम भी शामिल था. फ़िलहाल देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में जो दंगल जारी है उसके तार भी कहीं न कहीं मोइन क़ुरैशी से जुड़ते हैं. कहा जा रहा है की सीबीआई के लिए मोईन कुरैशी अलग-अलग लोगों से उनका काम करवाने के नाम पर रूपये लेता था.

मोईन कुरैशी बना था बड़ा चुनावी मुद्दा

2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी सभा में मीट निर्यात कंपनी और हवाला के साथ 10 जनपथ के एक क़रीबी नेता का रिश्ता बताते हुए यूपीए 2 की सरकार को संकट में डाल दिया था और उस वक़्त उनकी ये रणनीति कामयाब भी रही और वो देश के प्रधानमंत्री बन गये. लेकिन अब उसी मीट कारोबारी की वजह से देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई का घूंस कांड सामने आ चुका है. जिस से ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार विपक्षियों के निशाने पर आ चुकी है और अब सवाल सरकार पर उठ रहे हैं. 2019 का लोक सभा चुनाव करीब है और ऐसे में विपक्षी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्ही के हथियार से शिकस्त देने के लिए लामबंद हो रहे हैं.