लखनऊ: सपा और बसपा के रास्ते अब अलग हो चुके हैं. मायावती और अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि आने वाले विधानसभा उपचुनावों में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरेंगी. गठबंधन की तीसरी सहयोगी पार्टी रालोद ने भी अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने का मन बना लिया है. रालोद के हिस्से में तीन सीटें आई थीं और सभी तीनों सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. हालत ये रही कि अजीत सिंह और जयंत चौधरी भी अपनी सीटें नहीं बचा पाए.


ईद से ऐन एक दिन पहले सपा-बसपा-रालोद गठबंधन बिखरने के बीच, गठबंधन के तीसरे घटक रालोद ने बुधवार को कहा कि वह उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा उपचुनाव लड़ेगा. साथ ही रालोद ने उम्मीद जताई कि गठबंधन बना रहेगा.

रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने बताया कि राष्ट्रीय लोक दल एक राजनीतिक दल है और हम उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव में मैदान में उतरेंगे. हालांकि प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य पर टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी. जहां तक प्रत्याशियों के चयन की बात है तो यह फैसला हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व- चौधरी अजीत सिंह और जयंत चौधरी करेंगे.

राज्य के नए राजनीतिक हालात में रालोद की भूमिका के बारे में पूछने पर अहमद ने कहा कि रालोद समाजवादी पार्टी के साथ रहा है और हमें अखिलेश यादव के कोटे से सीटें मिली थीं. उन्होंने कहा कि हमारी इच्छा है कि गठबंधन एकजुट रहे और मजबूत रहे. कांग्रेस को भी गठबंधन का हिस्सा होना चाहिए था.

एक सवाल के जवाब में अहमद ने कहा कि नफा नुकसान के बारे में विश्लेषण बाद में किया जाएगा. हमारी इच्छा है कि गठबंधन अपना कुनबा बढ़ाए ताकि हम भाजपा के खिलाफ एक मजबूत ताकत बनकर उभर सकें.

इस सवाल पर कि रालोद कौन-कौन सी सीटों पर प्रत्याशी उतारेगा, अहमद ने फैसला पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर छोड़ते हुए कहा कि आने वाले कुछ दिनों में राष्ट्रीय नेताओं के साथ बैठक के दौरान इस मामले पर चर्चा होगी.

रालोद के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पार्टी को उत्तर प्रदेश विधानसभा में अपनी उपस्थिति महसूस कराने का मौका मिलेगा. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में रालोद तीन सीटों पर लड़ी थी लेकिन उसके प्रत्याशी किसी भी सीट पर विजयी नहीं हुए.

रालोद प्रमुख अजीत सिंह मुजफ्फरनगर से, उनके बेटे जयंत चौधरी बागपत से और कुंवर नरेंद्र सिंह मथुरा से चुनाव हार गए. उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनाव में रालोद ने 277 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसके 266 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी.