पटना: बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव 23 फरवरी से बिहार में 'बेरोजगारी हटाओ यात्रा' पर निकलने वाले हैं. इसके लिए एक बस को रथ की शक्ल दी गई है. इस रथ की तस्वीर सामने आई हैं. बीजेपी ने आरोप लगाया कि बस की सजावट में करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं. वहीं जेडीयू ने कहा कि ये बेरोजगारों का मजाक उड़ाने शाही रथ में निकल रहे हैं. इस पर आरजेडी प्रवक्ता शक्ति सिंह ने सफाई दी कि यह पुरानी बस है.


बीजेपी के प्रवक्ता अजित चौधरी ने कहा कि बस को खूब सजाया गया है. कई एसी लगाए गए हैं. ये बस तेजस्वी यादव के आवास की याद दिला रही है कि किस तरह से उसे फाइव स्टार की तरह सजाया गया था. बीजेपी नेता ने कहा कि यह बड़ा ही हास्यास्पद लगता है कि लाखों-करोड़ों रुपये लगाकर बेरोजगारी की यात्रा निकाल रहे हैं. इनका एक और झूठ पकड़ा गया है. ये बस पुरानी नहीं हैं बल्कि फाइव स्टार बस है. अजित चौधरी ने पूछा कि तेजस्वी यादव बेरोजगारी का वो फॉर्मूला बताएं जिससे वो इनती क्रम उम्र में बिना काम किए अरबपति बन गए. बस का रजिस्ट्रेशन मंगल पाल के नाम के शख्स पर है. इसकी तारीख 29 नवंबर 2019 पता चली है. बीजेपी ने सवाल किया कि ये बताया जाना चाहिए कि मंगल पाल कौन है.


वहीं आरजेडी प्रवक्ता शक्ति सिंह ने कहा कि आज का युवा नौकरी की तलाश कर रहा है. नौकरियों के लिए आवेदन दे रहे हैं फिर भी नौकरी नहीं मिल रही है. युवाओं पर डंडे चलाए जा रहे हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव इस मुद्दे के साथ आगे आए हैं. जब रथ की लागत को लेकर सवाल किया गया तो शक्ति सिंह ने कहा कि इसकी लागत पर न जाएं. रथ साधारण रूप में बना हुआ है. इसके ऊपर स्टीकर लगाए गए हैं. स्टीकर लगने से कम खर्च में बस की खूबसूरती बढ़ गई है. यह क्रांति रथ है. इसे कीमतों में नहीं आंका जा सकता. इस रथ के मर्म को समझने की जरूरत है. ये रथ तेजस्वी यादव के नेतृत्व में गांव-गांव जाएगा.


उधर जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि ये बेरोजगारों का मजाक उड़ाने निकल रहे हैं. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकारी बंगले में शाही खर्च किया, चार्टर्ड प्लेन में जन्मदिन मनाया अब शाही रथ में यात्रा पर निकल रहे हैं. उन्होंन कहा कि शाही खर्च और महंगे शौक तेजस्वी यादव की पहचान हैं. वो एसी रथ में हमदर्दी जताने चले हैं. इसमे कई एयर कंडीशनर लगे हैं. जनता इस तरह के घड़ियाली आंसू बहाने वाले नेताओं के चहरे को पहचानती है. ये बिहार के बेरोजगार के साथ मजाक है. इस तरह के शाह खर्चे के साथ अगर वे जनता के साथ रिश्ता बनाना चाहते हैं तो मुश्किल होगी.