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SP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में छाया राय साहेब का जलवा, नेता नहीं जानते कौन हैं ये जो बने पार्टी के नए थिंक टैंक
समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राय साहेब का ही जलवा रहा. उनके आगे किसी की नहीं चली. दो घंटे की मीटिंग में एक घंटा तो राय साहेब का ही भाषण हुआ. समाजवादी पार्टी में उनका रोल वैसा ही है जैसा नीतिश कुमार की पार्टी जेडीयू में कभी प्रशांत किशोर यानी पीके का था.
लखनऊ: शनिवार को लखनऊ में लंबे अरसे बाद समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. सबसे पहले गठबंधन को लेकर सारे अधिकार पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को दे दिए गए. फिर कुछ लोगों के निधन हो जाने पर शोक सभा हुई. इसके बाद मंच राय साहेब ने संभाल लिया. अखिलेश यादव ने बिना उनका नाम बताये कहा, ''इनकी बातें आप ध्यान से सुनिएगा. ये अगले चुनाव को लेकर आपको कुछ ज़रूरी बातें बतायेंगे.''
फिर राय साहेब का घंटे भर का प्रेज़ेंटेशन हुआ. चुनाव में बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कैसे काम करती है. ये बताया गया. अलग अलग जाति बिरादरी के लोग किस तरह वोट करते हैं. इसके बारे में समझाया गया. मुसलमानों ने किस इलाक़े में किस तरह से किस पार्टी को वोट दिया. इसके बारे में भी विस्तार से बताया गया. इसी दौरान पार्टी के सीनियर लीडर रामजी लाल सुमन बोले, ''ये सब तो हम जानते हैं. इतने सालों से चुनावी पॉलिटिक्स कर रहे हैं. बीजेपी को हराने के लिए क्या रणनीति हो, आपको ये बताना चाहिए.''
लेकिन राय साहेब के बदले जवाब अखिलेश यादव ने दिया. उन्होंने कहा कि ये सब तो आप लोगों को बताना है. इसके बाद कार्यकारिणी में मौजूद किसी नेता की हिम्मत राय साहेब से सवाल करने की नहीं हुई. पूर्वांचल के एक विधायक ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि राय साहेब वही बता रहे हैं जो हम छात्र राजनीति के ज़माने से ही जानते हैं . इसमें नया तो कुछ भी नहीं था.
एसपी के नेता नहीं जानते कौन हैं राय साहेब
समाजवादी पार्टी के कई नेताओं के मन में अलग अलग क़िस्म के सवाल थे. वे सब राय साहेब से अपने मन की बात करना चाहते थे. लेकिन अखिलेश यादव के तेवर देख कर सब ख़ामोश रहे. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद सभी नेता लंच के लिए होटल रेनेशां पहुंचे. राय साहेब जिस टेबल पर खाना खा रहे थे, वहं नेताओं की भीड़ लग गई. सब राय साहेब से बात करने को उत्सुक थे. लेकिन भीड़ बढ़ती देख कर राय साहेब अपना प्लेट उठा कर अखिलेश यादव के टेबल पर चले गए. जाने से पहले नेताओं से वे बोले कि हमें अगर आपकी ज़रूरत होगी तो मैं बुला लूँगा. लेकिन मुझसे मिलने की कोशिश न करें. एक पूर्व मंत्री ने उनका नंबर मांगा तो राय साहेब ने तल्ख़ तेवर में कहा कि मेरा नंबर आपके पार्टी अध्यक्ष के पास है..
समाजवादी पार्टी के किसी नेता को राय साहेब का पूरा नाम तक पता नहीं है. वे कहाँ से आए ? क्या करते हैं ? अगले लोकसभा चुनाव में वे क्या करेंगे ?किसी को कुछ नहीं पता. पश्चिमी यूपी के एक नेता ने कहा राय साहेब को मेरठ के किसी नेता ने अखिलेश यादव से मिलवाया है. राय साहेब पिछले चार महीनों से समाजवादी पार्टी में सक्रिय हैं . कुछ महीने पहले उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं से कई दौर की मीटिंग की. लखनऊ में सबसे पहले उन्होंने पार्टी के प्रवक्ताओं की क्लास ली. फिर मुस्लिम नेताओं से मिले. इसके बाद यादव नेताओं की बैठक हुई. इसके बाद बारी बारी से ग़ैर यादव पिछड़ी जाति के नेता और पार्टी के अगडी जाति के नेताओं के संग मीटिंग की. राय साहेब ने बारी बारी से सभी बैठकों में प्रेज़ेंटेशन दिया. बीजेपी क्यों जीती और सामजावादी पार्टी क्यों हारी ? सबको ये बताया. राय साहेब इन दिनों समाजवादी पार्टी के थिंक टैंक समझे जाते हैं.
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