(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
ना गन्ना, ना जिन्ना, कैराना में सोशल इंजीनयरिंग ने बीजेपी को हराया
गन्ना किसानों के बकाए को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बताया गया. बीजेपी हार गयी. अब नारे लग रहे हैं जिन्ना को गन्ना ने चुनावी अखाड़े में पटक दिया.
लखनऊ: कैराना में बीजेपी की हार पर पार्टी में घमासान मचा है. जितने नेता, उतनी ही बातें और हारने की तरह-तरह के कारण भी बताए जा रहे हैं. अपनी जीत पर विपक्ष के नेता गदगद हैं. तबस्सुम हसन की जीत से आरएलडी ने लोक सभा में खाता खोल दिया है. कहा जा रहा है कि जिन्ना पर गन्ना भारी पड़ गया. कैराना चुनाव से पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की फोटो पर विवाद शुरू हो गया था. जवाब में समाजवादी पार्टी ने कहा इस बार जिन्ना नहीं गन्ना पर वोट पड़ेगा. गन्ना किसानों के बकाए को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बताया गया. बीजेपी हार गयी. अब नारे लग रहे हैं जिन्ना को गन्ना ने चुनावी अखाड़े में पटक दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान जैसे बीजेपी के नेता भी फॉर्म में आ गए है. वे आरोप लगा रहे हैं गन्ना बकाया के चक्कर में हम हार गए.
गन्ना का बकाया कहने भर को चुनावी मुद्दा था कैराना लोक सभा में विधान सभा की 5 सीटें हैं. सहारनपुर ज़िले की नकुड़ और गंगोह के अलावा कैराना ज़िले की शामली, कैराना और थानाभवन विधान सभा सीट भी इसी में आते हैं. बीजेपी और आरएलडी उम्मीदवार को मिले वोट और इन इलाकों में गन्ना के बकाया के आंकड़े को समझने से तस्वीर साफ़ हो जाती है. गन्ना का बकाया कहने भर को चुनावी मुद्दा था. असल में विपक्ष की एकता से बीजेपी ढेर हो गयी. मुस्लिम, दलित और जाट के सामाजिक समीकरण ने ही बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया.
बीजेपी को सबसे अधिक वोट वहां मिले हैं जहां किसानों का सबसे अधिक बकाया है अगर गन्ना किसानों का बकाया चुनावी मुद्दा होता तो फिर कैराना विधानसभा सीट पर बीजेपी को इतनी बड़ी बढ़त नहीं मिलती. यहां बीजेपी की उम्मीदवार मृगांका सिंह को 96568 वोट और आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन को 83619 वोट मिले. यानी बीजेपी को आरएलडी से 12949 वोट अधिक मिले. जिस कैराना विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी को सबसे अधिक वोट मिले. गन्ना किसानों का सबसे अधिक बकाया वहीं है. यहां उन चीनी मिल वालों ने 128 करोड़ 61 लाख रुपए का ही भुगतान किया है. मतलब ये है कि किसानों का 50 प्रतिशत पेमेंट अभी बाकी है. अब बात करते है शामली विधानसभा की . यहां बीजेपी को आरएलडी से 414 वोट अधिक मिले. इस इलाके में जो चीनी मिल है. उसने 162 करोड़ 92 लाख रुपए का गन्ने का भुगतान किया है. 45 फीसदी पैसा मिलने के बावजूद बीजेपी ने आरएलडी को पछाड़ दिया. शामली विधानसभा सीट पर जाट वोटरों का दबदबा है. फिर भी आरएलडी पीछे रह गयी. यूपी के गन्ना मंत्री सुरेश राणा थानाभवन से विधायक हैं. यहां बीजेपी को आरएलडी से 13,528 वोट कम मिले. जबकि इस विधानसभा क्षेत्र में कैराना और शामली से अधिक गन्ने का भुगतान किसानों को दिया गया.
चारो खाने चित हो गई बीजेपी सहारनपुर ज़िले की नकुड़ और गंगोह विधान सभा क्षेत्र की बात करें जहां बीजेपी बुरी तरह हारी. ये दोनों सीट कांग्रेस नेता इमरान मसूद के प्रभाव वाला इलाका है. नकुड़ में आरएलडी को 1,06,941 तो बीजेपी को 83,103 वोट मिले.यानी बीजेपी को 23,838 वोट कम मिले. नकुड़ में सरसावां की चीनी मिल है. जिसने साठ प्रतिशत गन्ना बकाये का भुगतान किया है. लेकिन फिर भी बीजेपी चारो खाने चित हो गयी. योगी सरकार में आयुष राज्य मंत्री धर्म सिंह सैनी इसी इलाके से हैं. गंगोह विधानसभा सीट पर आरएलडी को बीजेपी से 13155 अधिक वोट मिले. यहां दो चीनी मिलें शेरमऊ और नानौता में हैं. यहां गन्ना किसानों का 70 फीसदी पेमेंट हो चुका है. कहने का मतलब ये है कि कैराना उपचुनाव के नतीजों का गन्ने से कोई लेना देना नहीं है. जो जीता वो इसे मीठा बता रहा है. हरनेवाली बीजेपी बैकफुट पर है.