भोपाल: भोपाल में गैस कांड की विभीषिका दिखाने के लिये बनाए गये संग्रहालय पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. 'याद करो भोपाल' नाम का ये संग्रहालय सुविधाओं और आर्थिक कारणों से बंद होने जा रहा है. हालांकि पांच साल के अंदर ही इस संग्रहालय ने देश विदेश में अच्छा खासा नाम कमा लिया था.


भोपाल की करोद कालोनी में हाउसिंग बोर्ड के छोटे से मकान में 'रिमेम्बर भोपाल म्यूजियम' बना है. भोपाल में 35 साल पहले हुए गैस हादसे की यादों को इस एक मंजिला छोटे से मकान में सहेज कर रखा गया है. भोपाल में 1984 में गैस कांड में हजारों लोगों की जान चली गयी थी. गैस कांड की विभीषिका दिखाने के लिये नीचे के कमरे में गैस कांड के दौर की दुर्लभ फोटो हैं. इसके अलावा जो लोग मारे गये या इस हादसे में हमेशा के लिये अपाहिज हो गये उन हताहतों के ऑडियो संदेश भी इस म्यूजियम में हैं.


बता दें कि दो-तीन दिसंबर 1984 की रात को भोपाल के इसी इलाके में बने यूनियन कार्बाइड कारखाने से गैस रिसी थी जिसमें पांच हजार से ज्यादा लोग मारे गए और हताहत हुए थे. जहरीली गैस ने बहुतों को तो मार दिया था मगर आने वाली पीढी को भी विकलांग बनाया है. सरकार का रवैया गैस पीडितों को लेकर हमेशा अच्छा नहीं रहा. गैस पीडितों को लंबी कानूनी लड़ाई भोपाल से लेकर दिल्ली तक लड़नी पडी. इस कानूनी लड़ाई और संघर्ष के फोटो इस संग्रहालय में बहुत प्रभावशाली तरीके से रखे गये हैं.


भोपाल गैस कांड देश की सबसे बड़ी औद्योगिक विभाषिका है मगर उसके बाद भी भोपाल में कोई संग्रहालय सरकार ने नहीं बनाया इसलिये कुछ लोग आगे आये और बिना सरकारी मदद के विश्व स्तरीय संग्रहालय खड़ा कर दिया, जिसमें कई साल की मेहनत लगी. लेकिन बढ़ते खर्चे और चंदे की कमी के कारण संग्रहालय को चलाना मुश्किल हो रहा है इसलिए संग्रहालय से जुड़े लोग इसे अब बंद करने जा रहे हैं.


पिछले कुछ सालों में ही इस संग्रहालय ने अच्छी लोकप्रियता हासिल कर ली है. भोपाल के स्कूल और कालेज के बच्चे तो यहां आ ही रहे थे, गूगल की मदद से विदेशी पर्यटकों की आवाजाही भी यहां हमेशा बनी रहती रही थी. इस महीने के आखिर तक इसे बंद करने का सोचा जा रहा है.


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