2014 में आरजेडी के घोषणापत्र में था गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण का जिक्र, 2019 में कर रही विरोध
अब भले ही आरजेडी सरकार को इस बिल में खामी बताकर घेरने की तैयारी आ रही हो लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आरजेडी ने जो घोषणापत्र जारी किया था उसमें अगड़ी जाति के गरीब लोगों को आरक्षण देने की बात कही गई थी.
नई दिल्ली: गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने वाला बिल मंगलवार को लोकसभा के पास हो गया. लगभग सभी विपक्षी दलों ने बिल के पक्ष में वोट किया. सरकार अब आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने की कानून बनाने की तैयारी कर रही है. वैसे तो लगभग सभी विपक्षी दलों ने सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के इस बिल का समर्थन किया लेकिन कुछ राजनीतिक दलों ने अलग-अलग आपत्तियां भी दर्ज करवाईं.
कईयों का यह कहना था कि सरकार के जब आखिरी कुछ महीने बचे हैं तब यह बिल क्यों लाया गया. इसी वजह से इसको राजनीतिक मंशा से लाया गया बिल करार दिया. समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने जाति के अनुपात में आरक्षण देने की बात की. समाजवादी पार्टी ने पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए 54 फ़ीसदी तक आरक्षण देने की मांग कर दी तो वहीं आरजेडी ने भी 52 फीसदी तक आरक्षण देने की वकालत की.
लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के सांसद तो अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर सड़कों पर तक आने की बात करने लगे हैं. मनोज झा के मुताबिक सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ों को ही आरक्षण देने की बात संविधान में कही गई है. आर्थिक आधार को न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है.
अब भले ही आरजेडी सरकार को इस बिल में खामी बताकर घेरने की तैयारी आ रही हो लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आरजेडी ने जो घोषणापत्र जारी किया था उसमें अगड़ी जाति के गरीब लोगों को आरक्षण देने की बात कही गई थी. लेकिन अब वो विरोध इस वजह से भी कर रही है क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल के लिए माना जाता है कि उसकी राजनीति अति पिछड़ा वर्ग के लोगों से जुड़ी हुई है.
लिहाजा इस तरह का विरोध कर राष्ट्रीय जनता दल यह बताने की कोशिश कर रही है कि अगर सरकार सवर्णों को आरक्षण देने की बात कर रही है तो फिर सवर्णों की तुलना में कहीं ज्यादा आबादी अति पिछड़ा वर्ग के लोगों की है. ऐसे में अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण उसी अनुपात में क्यों नहीं दिया जा रहा है. हालांकि आरजेडी को ये भी पता है कि फिलहाल इस बिल को लेकर उसके विरोध का कोई खास मायने नहीं है लेकिन फिर भी पिछड़ा वर्ग के लोगों के बीच पार्टी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है की आरजेडी अति पिछड़ों की आवाज है और वह उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ती रहेगी.