आरक्षण विवाद: चुनाव के बीच मनमोहन वैद्य के बयान से बीजेपी परेशान
नई दिल्ली: आरक्षण विवाद पर आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के बयान का महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पड़ने वाले प्रभावों को लेकर बीजेपी में चिंता पैदा हो गई है. पार्टी के नेताओं ने इसे गलत समय पर दिया गया बयान बताया है.
पार्टी के शीर्ष पदाधिकारी आरएसएस प्रवक्ता मनमोहन वैद्य के बयान के तुरंत बाद हरकत में आए. उसने आरएसएस को तत्काल इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी करने के लिए मनाया.
यह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण पर दिए गये बयान से पैदा हुए विवाद की याद दिलाता है. गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त खानी पड़ी थी. यह विवाद वैद्य के आरक्षण की समीक्षा का समर्थन करते हुए दिए गए बयान से पैदा हुआ.
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे का इस्तेमाल बीजेपी को आरक्षण विरोधी के तौर पर पेश करने के लिए किया है और यह मुद्दा विकास और नोटबंदी को अपने प्रचार अभियान के केंद्र में रखने की बीजेपी की रणनीति को भटकाने का खतरा पैदा कर रहा है.
उत्तर प्रदेश के पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘‘स्पष्ट तौर पर, हम नाखुश हैं. आरएसएस ने पहले ही इसे स्पष्ट किया है लेकिन हम आरक्षण को चुनावी मुद्दे के तौर पर पेश किया जाना कभी पसंद नहीं करेंगे. हम देखेंगे कि यह कितना सफल रहता है और उसी अनुसार अपनी योजना बनाएंगे. वैद्य का बयान गलत समय पर आया है और गैर जरूरी है.’’ एक अन्य नेता ने कहा कि सपा और बसपा दोनों अब इसका इस्तेमाल अन्य पिछड़ा वर्ग को अपनी तरफ लुभाने के लिए करेंगे. ओबीसी के बारे में पार्टी का मानना है कि वे उसपर एकबार फिर दांव लगाने के इच्छुक थे, जैसा उन्होंने 1990 के दशक में किया गया था, लेकिन बाद में पार्टी से दूर हो गए थे.
पार्टी के एक नेता ने कहा कि बसपा प्रमुख मायावती इसका इस्तेमाल दलित मतदाताओं को डराने में कर सकती हैं, जो सपा को हराने के लिए कई निर्वाचन क्षेत्रों में बीजेपी के पक्ष में मतदान कर सकते थे. हालांकि, कई नेताओं ने कहा कि विवाद का वाकई में चुनाव पर असर होगा इसपर टिप्पणी करना काफी जल्दबाजी होगी और उन्होंने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया कि उत्तर प्रदेश कई मायने में बिहार से अलग है.
उन्होंने कहा, ‘‘मंडल (आरक्षण) की बिहार में अधिक गूंज सुनाई पड़ती है क्योंकि वहां जनांकिकीय तौर पर ओबीसी का अधिक वर्चस्व है और वहां उत्तर प्रदेश की तुलना में अधिक ग्रामीण और गरीब आबादी है.’’ आरएसएस ने नुकसान को रोकने का त्वरित प्रयास किया. वैद्य ने तत्काल स्पष्टीकरण जारी किया और इस बात को स्पष्ट करने के लिए कल देर रात में संवाददाता सम्मेलन किया कि आरएसएस आरक्षण का समर्थन करती है.