वाराणसी: मोक्षनगरी कही जाने वाली काशी में लोग गंगा किनारे जीवन के अंतिम समय में मोक्ष की आस लिए आते हैं. मान्यता है कि यहां गंगा स्नान करने और प्राण त्यागने से मोक्ष मिलता है. अब उसी काशी में गंगा अपने वजूद की तलाश में है. गंगा का जलस्तर लगतार कम हो रहा है और अधिकारी लेटरबाजी के पेच में फंसे हैं. विडम्बना यह है कि गंगा दशहरा पर इस बार भी गंगा के लिए रस्में निभाई जाएंगी और कसमें खाई जाएंगी, लेकिन हकीकत में गंगा लगातार सूखती रहेगी.



पीएम के गंगापुत्र होने का दावा भी नहीं कर सका गंगा का उद्धार

बीती अप्रैल में ही यह बात सामने आई थी कि गंगा का जलस्तर पिछले आठ वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है. आलम यह है कि जिस नदी में लगातार जल का प्रवाह बना रहता था, उसमें जगह-जगह रेत की टीले उभर आए हैं. साल 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी पहुंचे थे तो उन्होंने गंगा का नाम लेकर कहा था, "मुझे न किसी ने यहां भेजा है और न मैं आया हूं. मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है." आज चार साल बाद काशी प्रधानमंत्री के उसी बयान को याद कर रही है और मां गंगा की दुर्दशा की गवाह बन रही है.



गंगा की सफाई तो दूर की बात रही, गंगा में पानी का संकट आ चुका है. शायद इस बात का एहसास जल संसाधन और गंगा पुनरुद्धार मंत्री नितिन गडकरी को भी है. तभी उन्होंने मंगलवार को बयान दिया कि गंगा की सफाई का काम अगर पूरा नहीं होता है तो लोग नौकरशाहों को नहीं बल्कि मोदी सरकार को कोसेंगे. बीते दिनों उन्होंने वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिए वाराणसी के अधिकारियों को भरोसा भी दिया था कि मार्च 2019 तक गंगा की सफाई का 80 फीसदी काम पूरा हो जाएगा. लेकिन बड़ा सवाल है कि गंगा की सफाई का काम गंगा में पानी न रहने पर कैसे पूरा होगा?

रस्मी बन चुका है गंगा दशहरा
गंगा में पानी की कमी पर गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती भी अपनी चिंता व्यक्त करते हैं. उन्होंने कहा कि अब केवल धनबल पर गंगा से मोक्ष खरीदने की कोशिश हो रही है. 'गंगा' शब्द को जितनी जोर से बोला जाता है, उतनी ही जोर से धनवर्षा होती है. लेकिन यह धन गंगा के उद्धार के लिए न जाकर कहीं और ही जा रहा है, जिसके बारे में सरकारें ही बता सकती हैं. उन्होंने कहा कि गंगा दशहरा का पर्व अब केवल रस्मी पर्व बनकर रह गया है. 2019 लोकसभा चुनावों से पहले हिन्दुओं की सरकार के पास अंतिम मौक़ा है कि वे दृढ़ संकल्प लेकर कुछ जमीनी काम शुरू कर दें.



पानी की कमी से रुक गया क्रूज
गंगा में पानी की कमी का आलम यह है कि 20 मई को वाराणसी पहुंचने वाले क्रूज अलकनंदा काशी को पटना से आगे पहुंचने के बाद रोक दिया गया है. इस क्रूज को बनाने वाले कंपनी के विकास मालवीय ने बताया कि ऐसा गंगा का जलस्तर कम होने के चलते किया गया है. उन्होंने कहा कि क्रूज को आगे चलने के लिए कम से कम 1.5 मीटर का जलस्तर चाहिए, जो फिलहाल गंगा में उपलब्ध नहीं है. अलकनंदा-काशी प्रोजेक्ट से जुड़ी टीम भी इस स्थति से गहरी निराशा में है. क्रूज को इस समय बक्सर के आगे रोक दिया गया है. टीम को इंतजार है कि मानसून की बारिश शुरू हो और गंगा का जलस्तर बढ़ने पर क्रूज को वाराणसी पहुंचाया जाए.



डीएम के लेटर के बाद भी नहीं छोड़ा गया पानी
बीते महीने गंगा का जलस्तर 8 साल के न्यूनतम स्तर पहुंचने के बाद वाराणसी के डीएम योगेश्वरराम मिश्रा ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव सिंचाई को एक पत्र लिखकर गंगा में पानी छोड़े जाने का अनुरोध किया था. उन्होंने इस पत्र में गंगा को लेकर काशी के लोगों और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था का भी हवाला दिया था. उनके इस पत्र से लोगों के अंदर उम्मीद जगी थी. लेकिन वह पत्र भी किसी काम न आया. मई में गंगा के हालात और बिगड़ गए हैं, जिसका सबूत है वाराणसी में गंगा में जगह-जगह उभर आए रेत के टीले हैं. डीएम के पत्र के बाद भी गंगा के जलस्तर में एक सेंटीमीटर की बढ़ोतरी तो नहीं हुई उलटा पिछले महीने की तुलना में गंगा के जलस्तर में 40 सेंटीमीटर से ज्यादा का घटाव दर्ज हुआ है. सेंट्रल वाटर कमिशन ने 22 मई 2018 को गंगा का जलस्तर 57.84 मीटर रिकॉर्ड किया. बीते साल 2017 में इसी तारीख को यह जलस्तर 58.33 मीटर दर्ज किया गया था. आंकड़े भी गवाही दे रहे हैं कि गंगा का जलस्तर लागातार घट रहा है.



बांधों से छोड़ना होगा पानी
सेन्ट्रल वाटर कमिशन के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर रविंद्र सिंह भी बताते है कि गंगा के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है. उन्होंने बताया कि डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से अनुरोध किए जाने का भी कोई असर नहीं दिखा है. उन्होंने साफ कहा कि जबतक गंगा में बांधों या किसी अन्य स्रोत से पानी नहीं छोड़ा जाता गंगा का जलस्तर लगातार गिरता रहेगा. उन्होंने कहा कि फिलहाल जब तक मानसून नहीं आ जाता, गंगा के जलस्तर में गिरावट जारी रहेगी.



भयावह हैं आंकड़े 

बीते कुछ वर्षों में सेंट्रल वाटर कमीशन ने जो वाराणसी में आंकड़े एकत्र किए हैं, वे गंगा के वजूद को लेकर बेहद डराने वाले हैं. साल 2015 में गंगा का न्यूनतम जलस्तर 58.67 मीटर था, जबकि 2016 में यह गिरकर 58.52 मीटर रिकॉर्ड किया गया. साल 2017 में भी गिरावट जारी रही और यह 58.27 मीटर रह गया. बीते महीने 24 अप्रैल 2018 को वाराणसी में गंगा का जलस्तर आठ सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया और यह 58.1 मीटर रिकॉर्ड हुआ जो 2010 के 57.16 मीटर के बाद न्यूनतम लेवल पर था, लेकिन अब ये रिकॉर्ड भी टूट चुका है.