पटना: तेजस्वी यादव के बंगले विवाद के बीच आरजेडी की तरफ से जेडीयू नेताओं की लिस्ट जारी की गई है. आरोप है कि इन नेताओं को नियमों के विरुद्ध जाकर सरकारी बंगले आवंटित किए गए हैं. तेजस्वी यादव ने दो विधान पार्षद के मिले सरकारी आवास को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह और सांसद आरसीपी सिंह को किराए पर देने का आरोप लगाया.


तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर डरे होने का आरोप लगाते हुए कहा कि पहली बार किसी मुख्यमंत्री की ओर से इस तरह की कार्रवाई की गई है. वहीं तेजस्वी यादव के बड़े भाई तेजप्रताप यादव ने इस मामले में नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि वे प्रदेश में गिरती लॉ एंड ऑर्डर सहित दूसरे ज्वलंत मुद्दों पर ध्यान देने के बजाए बदले की भावना से बंगला-बंगला का 'खेल' खेल रहे हैं.





बुधवार को तेजस्वी के सरकारी आवास को बुधवार को खाली कराने की कवायद को जिला प्रशासन ने कोर्ट में मामला दर्ज होने की बात सामने आने के बाद स्थगित कर दिया. पटना हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश के बाद जिला प्रशासन की एक टीम आज सुबह 5 देशरत्न मार्ग स्थित तेजस्वी यादव के सरकारी आवास को खाली कराने पहुंची थी. तेजस्वी यादव के वकील से मिली जानकारी के बाद ये कार्रवाई रोक दी गई. हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ उन्होंने डबल बेंच में याचिका दायर की है.


घटना से नाराज तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश पर स्वयं एक से अधिक बंगला रखने और उनके सहयोगियों पर अनधिकृत तौर पर बंगला पर कब्जा करने का आरोप लगाया. प्रशासन के पहुंचने पर आरजेडी के विधायकों और नेताओं ने इसका विरोध किया और वे आवास के बाहर धरने पर बैठ गए.


गौरतलब है कि आरजेडी प्रमुख लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव को यह आवास उपमुख्यमंत्री रहते हुए आवंटित हुआ था. बाद में एनडीए सरकार बनने पर इसे नए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को दे दिया गया. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आवास खाली करने की घटना के समय दिल्ली में थे. बाद में यहां पहुंचने पर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश पर आरोप लगाया कि वे प्रदेश में गिरती कानून व्यवस्था सहित अन्य मामलों पर चुप्पी साधे हुये हैं.


तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्ष का काम सरकार की कमियों को गिनाना है और ऐसा करने पर मुख्यमंत्री को उनके प्रति अपने मन में इतना 'जहर' और 'गुस्सा' नहीं रखना चाहिए कि उसका बदला कभी आवास के नजदीक निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाकर या उनके आवास को खाली कराने की कार्रवाई का सहारा लें. उन्होंने कहा कि आवास का मामला हाई कोर्ट के डबलबेंच के सामने विचाराधीन है जिसकी अगली सुनवाई आगामी 10 दिसंबर को होगी. हाई कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं होने पर वह सुप्रीम कोर्ट तक जा सकते हैं.