पटना: वरिष्ठ आरजेडी नेता और पार्टी चीफ लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी रघुवंश प्रसाद सिंह ने जेडीयू चीफ नीतीश कुमार को महागठबंधन में आने के लिए आमंत्रित किया है. उन्होंने ऐसा कर नीतीश से भूल सुधारने की बात कही है. महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना द्वारा सरकार गठन करने पर रघुवंश प्रसाद ने कहा कि वहां कुछ नया नहीं हुआ है और फॉर्मूला वही पुराना है. उन्होंने कहा कि गैर बीजेपी दल अगर एक हो जाएं तो हम बीजेपी को परास्त कर देंगे वरना ये संभव नहीं हो सकेगा. आरजेडी नेता ने कहा कि इसी फॉर्मूले को महाराष्ट्र के नेताओं ने लागू किया.


रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि जब भी बाकी पार्टी के लोग आपस में बंटे रहे बीजेपी का राज रहा. उन्होंने स्वीकार किया कि बीजेपी को हराना साधारण बात नहीं है और इसके लिए सभी गैर-बीजेपी दलों को एकजुट होना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार गैर-बीजेपी दल के हिस्सा हैं और वह पहले भी हमारे साथ थे. आरजेडी नेता ने कहा कि नीतीश कुमार आज इधर से उधर चले गए, भूल हो गई, फिर से सुधार कर लें, इसमें क्या दिक्कत है. उन्होंने कहा कि देश को बीजेपी से बचाया जाए यही जनता की राय है.


रघुवंश प्रसाद ने एनसीपी चीफ शरद पवार की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि वह एक मंझे हुए नेता हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में भी यही होना चाहिए. हालांकि, पूर्व उपमुख्यमंत्री और बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के मुद्दे पर साफ कहा कि उन्होंने पहले ही अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है और बार-बार इस पर बयान देने का कोई मतलब नहीं है. पूरी पार्टी में हर कोई पुराने स्टैंड पर कायम हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पर चर्चा हमारे दल में हो ही नहीं रही है.


क्या आरजेडी दो खेमे में बंट गई है या फिर नीतीश को साधने की चाल है?


आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने जहां जेडीयू नेता नीतीश कुमार को खुलेआम न्योता दिया, लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे सिरे से खारिज किया. उन्होंने साफ कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. सवाल ये उठता है कि आखिर आरजेडी के नेताओं का विरोधाभासी बयान क्यों आ रहा है? दरअसल, लालू यादव के जेल जाने और पार्टी की लोकसभा में करारी हार ने पार्टी को हिलाकर रख दिया है. पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है. अगले साल राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले कुछ आरजेडी विधायाक और नेता पाला भी बदल सकते हैं. ऐसे विधायकों को रोकने और नेताओं को बचाने के लिए फिलहाल सधी हुई रणनीति के तहत इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं.


रघुवंश प्रसाद सिंह बड़े इत्मिनान के साथ कहते हैं कि लालू के दिल की बात वो समझते हैं इसलिए उन्हें किसी से पूछ कर बयान देने की ज़रूरत नहीं है. दूसरी तरफ बीजेपी और नीतीश के बीच रिश्ते में खटास आई हुई है. ऐसे में अगर नीतीश बीजेपी का साथ छोड़ते हैं तो वो महागठबंधन में सम्मान से आएं इसके लिए अभी से तैयारी कर रहे हैं. दूसरी तरफ जेडीयू नेता संजय सिंह ने कहा कि ये असंभव वाली बात है. भले ही महागठबंधन को नीतीश कुमार ने बनाया और उसका नामकरण भी उन्होंने ही किया फिर भी वे वापस कतई नहीं जाएंगे. उन्होंने रघुवंश प्रसाद से सवाल किया कि क्या जिस भ्रष्टाचार के चलते हमने महागठबंधन को छोड़ा, क्या वह भ्रष्टाचार से मुक्त हो गए हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि पूरा लालू परिवार भ्रष्टाचार में लिप्त है.


जेडीयू नेता ने कहा कि हमने कहा था कि पब्लिक डोमेन में तेजस्वी यादव अपने ऊपर लगे आरोप पर सफाई दें लेकिन उन्होंने आज तक कोई बात नहीं की. संजय सिंह ने कहा कि रघुवंश प्रसाद सिंह को उनके पार्टी के लोग ही नोटिस नहीं करते, उम्र भी ज्यादा हो गई है. वह कब क्या बोलते हैं, कब क्या करते हैं, उन्हें यह भी याद नहीं रहता कि वे क्या बोलें. हम लोगों का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) एक है. बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी एक साथ हैं और यह गठबंधन अटूट है.


उपेंद्र कुशवाहा पर क्या बोले रघुवंश प्रसाद सिंह


आमरण अनशन पर बोलते हुए रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि आज उपेंद्र कुशवाहा की जान खतरे में है. वे डायबिटीज पेशेंट हैं और उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि वह चार-पांच दिनों से अनशन पर बैठे हुए थे फिर भी सरकार का कोई बयान नहीं आया. उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार के सामने नेता या जनता सवाल उठाते हैं और सरकार उस पर विचार करती है. इस मामले में अहंकार सही नहीं है. उन्होंने कहा कि ये क्या बात हुई कि स्कूल के लिए जमीन नहीं देंगे लेकिन मॉल खोलने के लिए देंगे.


आरजेडी नेता ने कहा कि बिहार में शिक्षा चौपट हो गई है. स्कूल-कॉलेज में शिक्षक नहीं हैं. पढ़ाई खत्म हो गई है. गरीब आदमी भूखे पेट, पेट काट कर अच्छी शिक्षा के लिए बच्चों को कॉन्वेंट भेजते हैं. दिल्ली में बिहार के लड़के जा कर पढ़ाई करते हैं. बाहर के स्कूल में लोग अपना पैसा खर्च कर रहे हैं. स्कूल-कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती है, सिर्फ परीक्षा होती है, फॉर्म भरवाया जाता है. उन्होंने सवाल किया कि कोई बताए ईमानदारी से पढ़ाई होती है क्या? उसी तरह से अस्पतालों में बेड नहीं हैं. आईसीयू में चले जाइये- जगह नहीं है, बेड नहीं है, बिस्तर नहीं है, डॉक्टर नहीं है. वहां लोग जमीन पर सोते हैं, लेकिन सरकार का प्रचार बहुत जबरदस्त है. ऊपर से फिट-फाट भीतर से मोकामा घाट. यही है इस राज्य का हाल.