बिहार: तेजस्वी यादव ने अमित शाह की डिजिटल रैली पर साधा निशाना, कहा- सरकार की आत्मा भी डिजिटल हो चुकी है
तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी दुनिया की पहली ऐसी पार्टी है, जो अपने लोगों के मरने पर जश्न मना रही है, जिस दिन बीजेपी ग़रीबों की मौत का जश्न मनाएगी, उसी दिन प्रतिकार में हम 'गरीब अधिकार दिवस' मनाएंगे.
बिहार: तेजस्वी यादव ने सोमवार को बताया कि उनकी पार्टी आरजेडी नौ जून को ग़रीब अधिकार दिवस मनाएगी. तेजस्वी ने अपने बयान में कहा कि देश में कोरोना मरीज़ों की संख्या लगभग दो लाख पहुंच गई है. ग़रीब पैदल चल भूखे मर रहे हैं, लेकिन बीजेपी नौ जून को डिजिटल रैली निकालेगी.
बीजेपी ने किया है वर्चुअल रैली का एलान बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बताया कि नौ जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ़ से वर्चुअल रैली की जाएगी. इसके लिए 11 बजे रैली का समय निर्धारित है और इसमें लगभग एक लाख लोग जुड़ेंगे.
"बीजेपी सत्ता की भूखी और जनता के सामने पेट का भूख" आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी दुनिया की पहली ऐसी पार्टी है, जो अपने लोगों के मरने पर जश्न मना रही है, जिस दिन बीजेपी ग़रीबों की मौत का जश्न मनाएगी, उसी दिन प्रतिकार में हम 'गरीब अधिकार दिवस' मनाएंगे. बीजेपी और जेडीयू सिर्फ अपनी सत्ता की भूख मिटाना चाहती है, लेकिन हम ग़रीबों-मज़दूरों के पेट की भूख मिटाना चाहते है उन्होंने बताया कि नौ जून को सभी बिहारवासी अपने-अपने घरों में थाली, कटोरा और गिलास बजाएंगे. बाहर से लौटे सभी श्रमिक भाई भी थाली-कटोरा बजाकर चैन की नींद में सो रही बिहार सरकार को जगाएंगे.
तेजस्वी ने कहा कि 100 से अधिक बिहारी श्रमिक, महिलाएं और बच्चे लॉकडाउन में इनकी ग़रीब विरोधी दमनकारी नीतियों के कारण मर गए. उन पर आज तक कोई शोक संवेदना और शोक का प्रकटीकरण नहीं किया गया, लेकिन चुनावी तैयारियों में व्यस्त हैं. बीजेपी को कोई लोकलाज नहीं. बिहार में चाहे कोई भी दिक्कत आए, कोई भी तकलीफ आए. बीजेपी और जदयू के दिल और दिमाग पर हमेशा चुनाव, सत्ता और पावर की भूख मिटाने की लालसा रहती है.
“सरकार की आत्मा भी डिजिटल हो चुकी है” तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि डिजिटल रैली करने वालों को इस मानवीय संकट में अगर जनता की चिंता होती, तो वो डिजिटल जनसेवा करते, डिजिटल मदद करते. हमने डिजिटली लाखों की मदद की, लेकिन ग़रीबों के पेट पर लात मारने वाले इस संवेदना और पीड़ा को नहीं समझ सकते. हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने एक बार कहा था कि ग़रीब को डाटा से पहले आटा चाहिए. इनकी आत्मा-अंतरात्मा सब भावहीन होकर डिजिटल हो चुकी है. लाखों बिहारी ग़रीबों का जीवन तबाह कर आज यह डिजिटल टोली, डिजिटल रैली निकाल रही है. जब जनता सड़कों पर भटक रही थी तब क्यों नहीं उन्होंने 'डिजिटली घर पहुंचाओ रैली' और जब लोग भूख से मर रहे थे तब क्यों नहीं उन्होंने “डिजिटली भोजन पहुंचाओ” रैली की.
"डिजिटल क्षमा याचना रैली निकाले सरकार" तेजस्वी ने बीजेपी-जेडीयू सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग वर्चुअल डिजिटल रैली नहीं, बल्कि डिजिटल क्षमा याचना रैली निकालें, डिजिटल शर्मिंदा रैली निकालें, डिजिटल कुशासन रैली निकलें, डिजिटल पश्चताप रैली निकालें. इस आपदा में जिस प्रकार जनता के बीच से ये डबल इंजन सरकार गायब है, उस हिसाब से तो इनका वर्चुअल नहीं बल्कि इनविसिबल रैली निकालना बनता है. इनके सभी मंत्री महत्वपूर्ण विभागीय बैठकों से ग़ायब हैं, लेकिन पार्टी के कार्यों में उपस्थित रहते हैं.
“15 साल में पलायन रोकने में डबल इंजन नाकाम” तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को ट्वीट कर BSNL के मोबाइल सिग्नल नहीं रहने की शिकायत करते हैं और यहां ये लोग डिजिटल चुनाव और रैली की फ़ालतू बात कर रहे हैं. वर्चुअल रैली निकालने से पहले डबल इंजन सरकार बताए कि केंद्र से उन्हें कितने वेंटिलेटर, पीपीई किट इत्यादि मिले. 15 वर्षों की बिहार सरकार बताए, इन्होंने पलायन रोकने के लिए 15 वर्ष में क्या किया? बिहार वापस लौटे श्रमिकों के लिए रोज़गार और नौकरी की क्या योजना और व्यवस्था है?
ऐसे मुश्किल वक्त में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का प्रयोग करना चाहिए, तो राशन के लिए, सुशासन के लिए, कड़े प्रशासन के लिए, लेकिन ये डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का प्रयोग कर रहें हैं चुनाव के लिए, भाषण के लिए.
बिहार बीजेपी ने किया पलटवार तेजस्वी यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार बीजेपी के प्रवक्ता डॉक्टर निखिल आनंद ने अपने बयान में कहा कि तेजस्वी यादव को बीजेपी के नाम से दहशत हो गई है. वर्चुअल रैली का मतलब कोरोना दौर में मास ऑनलाइन कम्युनिकेशन है, जिसमें बीजेपी कार्यकर्ताओं को गृहमंत्री अमित शाह जी संदेश देंगे. निखिल आनंद ने अपने बयान में कहा कि बीजेपी ने कोरोना त्रासदी में जनसेवा की मिसाल कायम की है. यह कोई चुनावी रैली नहीं है, कोरोना काल में सिर्फ जनता से संवाद है. दलित पिछड़ा के नाम पर परिवार का भला करती है राजद. तेजस्वी जाति-धर्म कॉकटेल तैयार कर नेता बनना चाहते हैं.
इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा का चुनाव है, जिसे देखते हुए बीजेपी और विपक्षी पार्टी ने कमर कस ली है और पूरी तरह आमने सामने होने को तैयार दिख रहे हैं.