नवादा रेप मामला: तीन साल बाद आया फैसला, RJD विधायक राजबल्लभ यादव को उम्रकैद की सजा
नवादा में नाबालिग लड़की से रेप के मामले में आज पटना की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने आरजेडी के निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
पटना: नवादा में नाबालिग लड़की से रेप के मामले में आज पटना की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने आरजेडी के निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई है. 2016 में हुए इस रेपकांड में सभी 6 आरोपियों को 15 दिसम्बर को दोषी ठहराया गया था और आज सभी दोषियों की सजा का एलान हुआ. जिसमें राजबल्लभ यादव, राधा देवी और सुलेखा देवी को आजीवन कारावास जबकि अर्पिता, टिशु कुमार और संदीप सुमन उर्फ पुष्पंजय कुमार को 10-10 साल की सजा सुनाई गई.
शुक्रवार को सजा के एलान से पहले एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश परशुराम सिंह यादव ने बचाव और सरकारी पक्ष की दलीलें सुनी और दोपहर करीब 3 बजे सजा का ऐलान किया. मुख्य आरोपी राजबल्लभ यादव समेत तीन दोषियों को IPC की धारा 376 और POCSO एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई, जबकि तीन दोषियों की कम उम्र का लिहाज करते हुए कोर्ट ने उन्हें 10-10 साल की सजा दी.
सजा के एलान के बाद कोर्ट परिसर से बाहर निकले आरजेडी विधायक राजबल्लभ यादव ने कहा कि उन्होंने कोई बलात्कार नहीं किया और न ही उनके घर पर किसी का बलात्कार हुआ है. राजबल्लभ यादव ने दावा किया कि बलात्कार का कोई सबूत ही नहीं है फिर भी उन्हें गलत सजा दी गई है. राजबल्लभ ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ केस लड़ रहे लोगों ने 20 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. हालांकि आरजेडी विधायक ने कानून में भरोसा जताते हुए कहा कि वो इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएंगे.
राजबल्लभ यादव के वकील सुनील कुमार ने कहा कि वे इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे क्योंकि उनके केस में दम है. सुनील कुमार ने कोर्ट के फैसले पर तो टिप्पणी नहीं की लेकिन इतना जरूर कहा कि उन्हें ऊपरी अदालत में उचित न्याय मिलेगा.
आपको बता दें कि फरवरी 2016 में नालंदा की एक नाबालिग लड़की को नवादा ले जाकर दुष्कर्म किया गया था. इसके बाद 9 फरवरी, 2016 को बिहारशरीफ महिला थाने में दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज हुई. पीड़िता ने बलात्कार का आरोप आरजेडी विधायक राजबल्लभ यादव पर लगाया था. आरोप था कि दुष्कर्म की घटना नवादा में राजबल्लभ यादव के चार मंजिला मकान में हुई थी. पुलिस ने 20 अप्रैल 2016 को इस मामले में चार्जशीट दायर की दायर की.
अदालत ने आरोपियों के खिलाफ 6 सितंबर, 2016 को आरोप गठित किए जिसके बाद बिहारशरीफ कोर्ट में 15 सितंबर 2016 से इस मामले में गवाही शुरू हुई. अभियोजन पक्ष की ओर से 22 जबकि बचाव पक्ष की ओर से 15 लोगों की गवाही हुई. हालांकि बहस पूरी होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एमपी-एमएलए कोर्ट के गठन के बाद सारे रिकॉर्ड ट्रायल के लिए पटना में विशेष अदालत को भेज दिए गए जहां आज सजा का ऐलान कर दिया गया.