नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने कोरोना महामारी के मद्देनज़र चुनाव के नियमों में जो बदलाव किया है, उसका विरोध अब बढ़ता ही जा रहा है. तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के बाद अब बिहार की विपक्षी पार्टियां भी इसके विरोध में उतर आई हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने इन बदलावों का विरोध करते हुए चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है. इन बदलावों का सबसे पहला असर बिहार में ही पड़ने वाला है, जहां इस साल अक्टूबर-नवम्बर में विधानसभा चुनाव होने की सम्भावना है. पार्टी के सांसद मनोज झा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इन बदलावों को वापस लिए जाने और तुरन्त सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस विषय पर चर्चा करवाने की भी मांग की है.


चुनाव की प्रामाणिकता पर सवाल
मनोज झा ने लिखा है कि इन बदलावों से चुनाव प्रक्रिया की प्रामाणिकता सवालों के घेरे में आएगी क्योंकि पोस्टल बैलेट के नियमों में किए गए इन बदलावों से मतदाताओं की जांच की प्रक्रिया में समझौता होने की आशंका रहेगी. आरजेडी सांसद के मुताबिक़ इन बदलावों का फ़ायदा सीधा सीधा सत्तारूढ़ गठबंधन को होना तय है, क्योंकि प्रशासन उनके हाथ में रहता है. मनोज झा का कहना है कि इन बदलावों का चुनावी व्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है, लिहाज़ा इसपर पहले सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत होनी चाहिए.


जल्दबाज़ी में लिया गया फ़ैसला
अपने पत्र में मनोज झा ने आयोग के इस फ़ैसले को जल्दबाज़ी में लिया गया फ़ैसला क़रार दिया है. मनोज झा का कहना है कि अभी बिहार विधानसभा चुनाव में काफ़ी वक़्त है. उन्होंने लिखा है कि केंद्र और राज्य सरकारें लगातार लॉकडाउन की शर्तों में ढील दे रही हैं, इसलिए चुनाव आने तक हालात बदल जाएंगे.


65 साल के ऊपर वालों को पोस्टल बैलेट की सुविधा
चुनाव आयोग ने पिछले हफ़्ते ही चुनाव के दौरान मतदान के नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए 65 साल से ज़्यादा उम्र वालों को पोस्टल बैलेट यानी घर बैठे बैठे मतदान की सुविधा देने की घोषणा की है. इसके अलावा ये सुविधा कोरोना के पॉजिटिव मरीजों या क़्वारन्टीन हुए लोगों को भी दी जाएगी. 65 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में महामारी का ख़तरा ज़्यादा रहता है. अब तक पोस्टल बैलेट की सुविधा चुनाव कार्य या देश की रक्षा में लगे जवानों को ही दी जाती रही है.