लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने सोमवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, शिवसेना जैसे अपने समर्थक संगठनों को जुटाकर 24 और 25 नवंबर को अयोध्या में मुस्लिमों को डराने का जो कार्यक्रम चलाया, संविधान इसकी इजाजत नहीं देता. इस कार्यक्रम में शामिल लोगों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाया जाए.


आरएलडी के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि वहां विहिप के लोगों का यह कहना कि मुस्लिम पक्षकार अपना दावा छोड़ दे, वरना काशी और मथुरा में भी आंदोलन चलाया जाएगा, स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय को डराने-धमकाने वाला बयान है. आरएलडी की मांग है कि ऐसी कलुषित विचारधारा वाले व्यक्तियों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा कायम किया जाए और अगर प्रदेश का प्रशासन इसका संज्ञान नहीं लेता है तो सुप्रीम कोर्ट को स्वत:संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए.


त्रिवेदी ने कहा कि हाई कोर्ट ने काफी लंबी संवैधानिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद यह निर्णय दिया था कि संपूर्ण परिसर रामजन्म भूमि, निर्मोही अखाड़ा और बाबरी मस्जिद के पक्षकारों को दी जाती है. इस निर्णय के बाद सर्वविदित है कि सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है. फैसला जनवरी में आना है, तब तक इंतजार करना चाहिए, लेकिन पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण कर फायदा उठाने की नीयत से ये 'ड्रामा' रचा गया है.


उन्होंने कहा कि इस मामले पर बीजेपी द्वारा अर्नगल बयानबाजी संविधान की अवहेलना और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है. राम मंदिर की स्थापना में किसी भी धर्म या संप्रदाय का कोई भी व्यक्ति विरोध नहीं कर रहा है, लेकिन चुनावी वैतरणी पार करने के लिए बीजेपी जानबूझकर इसे राजनैतिक मुद्दा बनाए हुई है.


त्रिवेदी ने कहा कि इस धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश में रालोद ऐसी विचारधारा के लोगों का बहिष्कार करता है जो भाई-भाई के अलगाव की बात करते हैं. एक तरफ 'सबका साथ सबका विकास' की रट और दूसरी तरफ 'तुम्हारे अली तो हमारे बजरंगवली' जैसा बयान देकर संवैधानिक पद संभाल रहे योगी आदित्यनाथ खुद संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं. ये अपने दोहरेपन को खुद उजागर कर रहे हैं.


उन्होंने कहा कि अयोध्यावासी धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने गंगा-जमुनी तहजीब का परिचय देते हुए बीजेपी एवं सहयोगी संगठनों के मंसूबों पर पानी फेर दिया और तमाम उकसावे के बावजूद सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखा.