पटना: आरएलएसपी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा है कि बीजेपी ने नीतीश के सामने घुटने टेक दिए हैं. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में 6 दिसंबर से पहले मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के संकेत दिए है. बीजेपी को 30 दिसंबर तक का डेड लाइन देने को लेकर जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ''पार्टी ने पहले हीं तय किया है 4-5 दिसंबर को हम बाल्मीकिनगर में बैठेंगे. 6 दिसंबर को मोतिहारी में खुला अधिवेशन होगा. वही हम सब लोग मिलकर तय करेंगे. जो परामर्श होगा उस परामर्श के आधार पर जो अभी तक स्थिति है उस स्थिति के मद्दे नजर हमको क्या करना चाहिए यह डिसीजन लिया जाएगा.''


उपेन्द्र कुशवाहा ने आगे कहा,'' हम भारतीय जनया पार्टी से अभी भी आग्रह करते हैं. हमको दो सीट देना है या नहीं देना है वह अलग सबजेक्ट है. लेकिन एनडीए के इंट्रेस्ट में अब तक जो रवैया हमको दिखा है उसके आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि भारतीय जनता पार्टी ने नीतीश जी के सामने घुटना टेक दिया है.'' उन्होंने आगे कहा,'' हमने बहुत पहले कहा था कि एनडीए में नीतीश जी जिस नाव पर सवार होंगे वो नाव डूब जाएगी. बाद में नीतीश जी आ गए. हमें लगा कि यह फैसला सोच समझ कर लिया गया होगा और मैं यह समझ रहा था कि नीतीश जी नाव पर जरूर आ गए हैं लेकिन पतवार कम से कम उनके हाथ में नहीं होगा. पतवार भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व अपने हाथ में रखेगा मगर अब लग रहा कि पतवार भी भारतीय जनता पार्टी नीतीश को सौंप रही है. ऐसी परिस्थिति में जब नाव का पतवार नीतीश जी के हाथ में हो वो नाव डूबेगी.''


कुशवाहा ने आगे कहा,'' अभी भी वक्त है भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से यह आग्रह है कि बिहार में एनडीए को बचा लें वरना नीतीश जी के कारण उसकी स्थिति बहुत बुरी हो जाएगी.''


जब उपेन्द्र कुशवाहा से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि RLSP के निकलने का असर एनडीए पर होगा ? इस सावल के जवाब में उन्होंने कहा,''अभी निकलने का फैसला हमारी पार्टी ने नहीं किया है.हम अकेले फैसला लेने वाले कौन होते हैं. हमने कहा भी था कि 30 नवंबर तक हमारी कोशिश रहेगी, लेकिन फिर भी बीजेपी गंभीर नहीं है तो हम यही समझेंगे कि रालोसपा को एनडीए में रखने के लिए बीजेपी गंभीर नहीं है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि एनडीए को नुकसान होगा.''


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनको क्या दिक्कत है ? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ''बिहार की जनता से पूछिए. 15 साल कोई कम समय नहीं होता है. नीतीश जी मैं बड़ा भाई की तरह मानता हूं, लेकिन 15 साल में क्या हुआ? बिहार की जनता का दर्द समझना चाहिए. गांव के गरीब बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ सकते हैं. क्या स्थिति है सरकारी स्कूलों की. हम बिहार बनाने की बात करते हैं, बिहार कैसे बनेगा. जदयू, बीजेपी मेरी एक बात मान ले तो सारा अपमान सहते हुए भी मैं एनडीए में रह सकता हूं. बिहार में शिक्षा के संबंध में 25 सूत्री मांग है, उसको मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से कहें तो तमाम बातों को मानकर हम उनके साथ रहेंगे.''


उपेन्द्र कुशवाहा से जब पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि अभी भी पीएम, अमित शाह की ओर से बुलावा आएगा ? जवाब देते हुए उन्होंने कहा,'' ऐसी संभावना मुझे नहीं दिख रही है. लेकिन हम तो सारी चीजें भूल जाएंगे. जनता की ओर से हमारा जो आंदोलन रहा है. बिहार के मुख्यमंत्री कह दें कि रालोसपा की 25 सूत्री मांग मानेंगे.''