नई दिल्ली: राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाता तोड़ने के साथ मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे और गठबंधन तोड़ने के एलान के बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक के बाद एक कई आरोप लगाए. कुशवाहा ने कहा कि पीएम मोदी ने आश्वासन दिया था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा और अच्छे दिन आएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि पीएम ने सामाजिक न्याय की बात की थी. हमें बहुत आश्वासन मिले. जातीय जगणना की रिपोर्ट नहीं आई. आज ओबीसी ठगे हुए महसूस कर रहे हैं. बिहार में स्वास्थ्य और शिक्षा का बुरा हाल है.
कुशवाहा यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि पीएम अलोकतांत्रिक तरीके से काम कर रहे हैं, कैबिनेट को रबर स्टाम्प बना दिया गया है. केवल पीएम के निर्णय को कैबिनेट मुहर लगाती है. जांच एजेंसियां पीएमओ और बीजेपी अध्यक्ष रिमोट कंट्रोल से चला रहे हैं. सारे फैसले मंत्री नहीं बल्कि अमित शाह और पीएमओ की ओर से लिए जा रहे हैं. सरकार आरएसएस का एजेंडा चला रही है.
आरएलएसपी अध्यक्ष ने जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह से फेल है. नीतीश कुमार का एक ही एजेंडा है मुझे और मेरी पार्टी को खत्म करना. बीजेपी ने इसकी शुरुआत की थी. बिहार चुनाव में सभी की सीटें बढ़ाई गई, लेकिन आरएलएसपी के साथ अन्याय किया गया.
कुशवाहा ने संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने और विधानसभा चुनावों के नतीजे आने से एक दिन पहले इस्तीफा दिया है. कुशवाहा के इस कदम से बिहार में राजनीतिक समीकरण पर असर पड़ सकता है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रमुख पिछले कुछ सप्ताहों से बीजेपी और उसके अहम सहयोगी दल जदयू के नेता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं.
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आरएलएसपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में दो से ज्यादा सीटें नहीं मिलने के बीजेपी के संकेतों के बाद से कुशवाहा नाराज चल रहे हैं. दूसरी ओर बीजेपी और जेडीयू के बीच बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है. रालोसपा विपक्ष से हाथ मिला सकती है जिसमें लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस शामिल है. पिछले लोकसभा चुनाव में आरएलएसपी तीन सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सभी सीटों पर जीती थी.