प्रयागराज: सबरीमला को लेकर जारी विवाद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि केरल की वामपंथी सरकार, न्यायपालिका के आदेशों से परे जा रही है और अयप्पा के भक्तों का दमन किया जा रहा है. जगद्गुरू स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की अध्यक्षता में शुरू हुई विहिप की धर्म संसद को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि हिंदू समाज की भावना को ठेस पहुंचाने के लिए नई नई योजनाएं चल रही हैं जिससे हिंदू समाज उद्वेलित है.
आरएसएस प्रमुख ने कहा, "हम हिंदू समाज के इस आंदोलन का समर्थन करते हैं. आज हिंदू समाज के विघटन के कई प्रयास चल रहे हैं. इसलिए धर्म जागरण के माध्यम से बिछुड़े हुए हिंदू बंधुओं को वापस लाने की आवश्यकता है." इस अवसर पर योग गुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि देश में समान नागरिक संहिता और समान जनसंख्या का कानून लाया जाना चाहिए.
इस धर्म संसद में स्वामी परमानंद ने सबरीमला में परंपरा और आस्था की रक्षा करने को लेकर जारी संघर्ष को अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के समकक्ष बताते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देखने में आया है कि हिंदू परंपराओं के प्रति अविश्वास निर्माण का कुप्रयास किया जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर इसका ताजा उदाहरण है जिसमें कभी पर्यावरण के नाम पर तो कभी आधुनिकता के नाम पर इस प्रकार के विवाद जानबूझकर खड़े किए जाते हैं.
उन्होंने कहा कि भारत का संत समाज अयप्पा भक्तों विशेषकर हिंदू महिलाओं, एनएसएस, केपीएमएस, एसएनडीपी, आर्य समाज, पीपुल आफ धर्मा और अन्य कई हिंदू संगठनों के इस पावन संघर्ष का अभिनंदन करता है.
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स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज ने कहा कि हिंदू समाज के विघटन के षड्यंत्र के तहत कभी भीमा कोरेगांव में दलित मराठा विवाद पैदा किया जाता है तो कभी पत्थलगढ़ी (झारखंड) में चर्च और माओवादी वहां के जनजाति समाज को शेष हिंदू समाज से अलग थलग करने का षड्यंत्र रचते हैं.
धर्म संसद में जगद्गुरू रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य जी महाराज, जगद्गुरू रामानुजाचार्य हंसदेवाचार्य जी महाराज, निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव, स्वामी जितेंद्रनाथ, सतपाल महाराज, स्वामी वियोगानंद जी महाराज, नृत्यगोपालदास जी महाराज सहित 200 से अधिक संत उपस्थित थे.
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